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सीबीएसई ने 10वीं 2020-21 के प्रश्न पत्र से विवादित सवाल हटाया, छात्रों को मिलेंगे पूरे मार्क्स ….

नई दिल्ली । सीबीएसई 10वीं परीक्षा के अंग्रेजी प्रश्न पत्र में पूछे गए विवादित प्रश्न पर मचे भारी हंगामे के बाद बोर्ड ने सोमवार को इसे वापस ले लिया। केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड (सीबीएसई) ने कहा कि कक्षा 10 के अंग्रेजी के पेपर में आया पैसेज नंबर 1 बोर्ड की गाइडलाइंस के अनुरूप नहीं है। ऐसे में इसे प्रश्न पत्र से हटाया जाता है। इस पैसेज के पूरे मार्क्स सभी विद्यार्थियों को मिलेंगे।

सीबीएसई ने नोटिस में कहा, ‘कक्षा 10वीं टर्म-1 परीक्षा के इंग्लिश लैंग्वेज एंड लिटरेचर क्वेश्चन पेपर के पैसेज का एक सेट बोर्ड के दिशानिर्देशों के अनुरूप नहीं है। इस पर मिले फीडबैक के आधार पर बोर्ड ने इस मामले को विषय विशेषज्ञों के पास समीक्षा के लिए भेजा था। उनकी सिफारिश के आधार पर पैसेज नंबर 1 और इससे संबंधित प्रश्न को प्रश्न पत्र से हटाने का फैसला लिया गया है। इसके बदले में स्टूडेंटस् को फुल मार्क्स दिए जाएंगे।’

आपको बता दें कि शनिवार को आयोजित 10वीं की परीक्षा में प्रश्नपत्र में ‘महिलाओं की मुक्ति ने बच्चों पर माता-पिता के अधिकार को समाप्त कर दिया’ और ‘अपने पति के तौर-तरीके को स्वीकार करके ही एक मां अपने से छोटों से सम्मान पा सकती है’ जैसे वाक्यों का उपयोग किया गया जिस पर आपत्ति जतायी गई। प्रश्नपत्र के विवादित अंश सोशल मीडिया पर वायरल हो गए। इन्हें लेकर ट्विटर पर लोग सीबीएसई पर निशाना साध रहे थे और यूजर्स  हैशटैग #सीबीएसई इनसल्टस वुमैन (सीबीएसई ने महिलाओं का अपमान किया) का समर्थन करने का आह्वान कर रहे थे।

कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने लोकसभा में सीबीएसई 10वीं की परीक्षा में आए विवादास्पद प्रश्न का मुद्दा उठाया था। उन्होंने अंग्रेजी के प्रश्न पत्र में आए पैसेज को महिला विरोधी बताते हुए सीबीएसई बोर्ड और शिक्षा मंत्रालय से इस प्रश्न को वापस लेकर माफीनामा जारी करने की मांग की थी। उन्होंने पैसेज का उल्लेख करते हुए अंग्रेजी में उसके दो वाक्यों को भी पढ़ा जिनमें लिखा है, ” महिलाओं को स्वतंत्रता मिलना अनेक तरह की सामाजिक और पारिवारिक समस्याओं का प्रमुख कारण है।” और ”पत्नियां अपने पतियों की बात नहीं सुनती हैं जिसके कारण बच्चे और नौकर अनुशासनहीन होते हैं।”

कांग्रेस अध्यक्ष ने दावा किया कि पूरे पैसेज में इसी तरह के निंदनीय विचार हैं और नीचे पूछे गए प्रश्न भी उतने ही संवेदनाहीन हैं। उन्होंने कड़ी आपत्ति जताते हुए कहा कि यह शिक्षा के मानकों और परीक्षण में खराब स्तर को दर्शाता है और सशक्त तथा प्रगतिशील समाज के खिलाफ है।

राहुल गांधी और प्रियंका गांधी ने भी साधा था निशाना

कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने आरोप लगाया था कि यह युवाओं की नैतिक शक्ति तथा भविष्य को कुचलने की राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) एवं भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) की साजिश है। उन्होंने कहा था, ‘बच्चों, अपना सर्वश्रेष्ठ प्रयास करो। कड़ी मेहनत का फल मिलता है। कट्टरता से कुछ हासिल नहीं होता।’

कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा ने ट्वीट कर कहा था, ‘अविश्वसनीय। क्या हम वास्तव में बच्चों को ऐसा निरर्थक ज्ञान दे रहे हैं? स्पष्ट रूप से भाजपा सरकार महिलाओं संबंधी इन रूढ़ीवादी विचारों का समर्थन करती है, अन्यथा ये सीबीएसई पाठ्यक्रम में क्यों शामिल होंगे?’

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