मध्य प्रदेश

एसपी का विरोध कर बैकफुट पर बीजेपी, किया था शक्ति प्रदर्शन, सोशल मीडिया पर जमकर हो रही किरकिरी

मुख्यमंत्री के कार्यक्रम में मंत्री पुत्र दिव्यादित्य शाह को मंच पर जाने से रोकने का विवाद

खंडवा। लाड़ली बहना योजना के कार्यक्रम में मुख्यमंत्री शिवराजसिंह चौहान मंच नवागत एसपी सत्येंद्र शुक्ल ने मंत्री पुत्र दिव्यादित्य शाह और पंधाना जनपद अध्यक्ष सुमित्रा काले को मंच पर आने से रोक दिया था। क्योंकि, भाजपा ने मंचासीन जिन लोगों की सूची दी थी, उसमें दिव्यादित्य और सुमित्रा का नाम ही नहीं था, लेकिन घटनाक्रम का वीडियो वायरल हुआ तो पुलिस कप्तान से खुन्नस में भाजपा युवा मोर्चा ने विरोध स्वरूप रैली निकाल ली। प्रदर्शन किया, लेकिन नतीजा सिर्फ मंत्री पुत्र का शक्ति प्रदर्शन बनकर रहा।
इधर, विरोध प्रदर्शन के बाद सोशल मीडिया पर कांग्रेस के साथ सामाजिक लोगों ने भाजपा को घेर लिया। यहां तक की भाजपा संगठन से जुड़े लोगों ने नाम न छापने की शर्त पर बताया कि, इस प्रदर्शन से पार्टी की किरकिरी हुई है, प्रदर्शन को हल्के तरीके से करना पहले से तय था। फिर भी जानबूझकर भीड़ जुटाकर शक्ति प्रदर्शन किया गया। स्वयं प्रदेश संगठन ने जिले के बड़े पदाधिकारियों को प्रदर्शन से दूर रहने की सलाह दी थी। वही, कलेक्टर अनूपसिंह ने भी आग्रह किया था कि इस प्रदर्शन को हल्के तरीके से किया जाए।
खास बात तो यह कि, युवा मोर्चा ने अपने ज्ञापन में एसपी सत्येंद्र शुक्ल को हटाने की बात कही। लेकिन मंत्री पुत्र व जिला पंचायत उपाध्यक्ष दिव्यादित्य शाह ने मीडिया से बातचीत में कहा कि हमारी मांग सिर्फ यह है कि पुलिस अधिकारी के व्यवहार में सुधार होना चाहिए। यानी प्रदर्शन के नेतृत्वकर्ता ही अपनी बातों से पलट गए। ऐसे में पार्टी की किरकरी हुई तो भाजपा जिलाध्यक्ष सेवादास पटेल ने पूरा मामला युवा मोर्चा पर ढोल दिया। उन्होंने कहा कि, यह कार्यक्रम युवा मोर्चा के पदाधिकारियों ने तय किया था। इसमें जिला संगठन का कोई रोल नहीं है।
कांग्रेस बोली- बेहतर होता कि शहर की समस्याओं के लिए भाजपाई जुटते
कांग्रेस नेता मुल्लू राठौर, आलोकसिंह रावत आदि ने भाजपा युवा मोर्चा के प्रदर्शन पर चुटकी लेते हुए सोशल मीडिया पर पोस्ट की। लिखा कि, एक आईजी रैंक के पुलिस अधिकारी को पदभार संभाले दो दिन ही हुए है और राजनीतिक दबाव बनाने के लिए भीड़ इकट्‌ठी की गई। इस भीड़ में जितने भी युवा नेता थे, वो अपनी ही पार्टी की राजनीति का शिकार हो गए। भला होता कि शहर के ओवरब्रिज, स्वीमिंग पुल, रिंगरोड, पुलिस बटालियन आदि के लिए सडक़ पर उतरते। जिसके नतीजे भी सकारात्मक आते और पार्टी की इज्जत भी मिट्टी में नहीं मिलती।

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