मध्य प्रदेश

भाजपा के मंत्री ने त्यागे जूते, कांग्रेस बोली- अपनी सरकार में सड़क नहीं बनवा पा रहे, नौटंकी कर रहे मंत्री, जूते नहीं, पद छोड़ें …

भोपाल। ग्वालियर की खराब और जर्जर सड़कें एक बार फिर सुर्खियां बनी हुई हैं। शिवराज सरकार में ऊर्जा मंत्री व सिंधिया समर्थक प्रद्युम्न सिंह तोमर ने अपने ही क्षेत्र में सड़कें न बनवा पाने के बाद जनता से माफी मांगी और जूते-चप्पल त्याग दिए हैं। कांग्रेस ने इस पर ऊर्जा मंत्री को घेर लिया है। कांग्रेस ने उनके जूते त्यागने को सीधे-सीधे नौटंकी बताया है।

कांग्रेस जिलाध्यक्ष देवेंद्र शर्मा का कहना है कि लगातार कई साल से भाजपा का शासन है। प्रद्युम्न सिंह तोमर मंत्री हैं, इसके बाद भी वह अपने विधानसभा क्षेत्र में सड़कें तक नहीं बनवा पाए। इसे वह अपनी असफलता समझें और जूते नहीं पद छोड़ें। कांग्रेस ने यह भी सवाल उठाया है कि तीन सड़कों की बात ही क्यों की जा रही है, पूरा शहर खुदा पड़ा है। अब जब चुनाव पास आ गए हैं तो भाजपा के मंत्री इस तरह जनता के सामने नौटंकी कर रहे हैं। चर्चाओं में बने रहने के लिए प्रद्युम्न इस तरह की कई बार नौटंकी कर चुके हैं।

शिवराज सरकार के ऊर्जा मंत्री प्रद्युम्न सिंह तोमर ने जूते-चप्पल छोड़ दिए हैं। उनका यह दर्द ग्वालियर विधानसभा में सड़कें न बनवा पाने पर झलका है। यही कारण है कि जनता के दर्द को समझते ऊर्जा मंत्री ने जूते त्याग दिए हैं। उन्होंने शहर की जनता से सड़कें न बनवा पाने पर माफी भी मांगी है। दरअसल, एक दिन पहले ऊर्जा मंत्री तोमर लक्ष्मण तलैया, गेंडेवाली सड़क और जेएएच रोड का निरीक्षण करने पहुंचे थे। यहां लोगों ने बताया कि किस तरह वह खराब व गड्‌ढे वाली सड़कों से परेशान हैं। सड़कों से उड़ने वाली धूल से लोग बीमार हो रहे हैं।

ऊर्जा मंत्री तोमर ने सबसे पहले लक्ष्मण तलैया से शब्द प्रताप आश्रम तक पैदल चलकर रोड का निरीक्षण किया। निर्माण कार्य धीमी गति से चलने पर संबंधित अधिकारियों पर नाराजगी जताई। साथ ही कहा कि सड़क न बनने के कारण आम लोगों को काफी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। यहां से तोमर गेंडेवाली सड़क का निरीक्षण करने पहुंचे। यहां भी सड़कें खुदी पड़ी थीं। क्षेत्रीय पार्षद ने ऊर्जा मंत्री तोमर को बताया कि विभिन्न गलियों में अमृत योजना के तहत पेयजल लाइन को डालने के लिए गलियों को खोदा गया था। मरम्मत कार्य न होने से लोगों को निकलने में काफी परेशानी हो रही है। यह सुनकर ऊर्जा मंत्री तोमर ने जूते उतार दिए और नंगे पैर ही निरीक्षण किया। मंत्री ने जेएएच हॉस्पिटल चौराहे से हुजरात पुल तक पैदल निरीक्षण किया। वहीं, मंत्री के इस त्याग पर लोग चटखारे ले रहे हैं, लोग कह रहे हैं कि हमेशा से अपने अनोखे अंदाज के लिए पहचाने जाने वाले प्रद्युम्न सिंह तोमर ने इस बार भी अपनी नाकामी को छुपाने के लिए यह नया तरीका तलाश लिया है। सड़कें नहीं बनी हैं तो इसके लिए जिम्मेदार कौन है। इस पर कार्रवाई या एक्शन के बदले उन्होंने जूते त्यागना ही मुनासिब समझा है।

जिन सड़कों को बनवाने के लिए ऊर्जा मंत्री प्रद्युम्न सिंह तोमर ने जूते-चप्पल त्यागे हैं, उन सड़कों के बारे में स्मार्ट सिटी के प्रोजेक्ट सुप्रिटेंडेंट इंजीनियर सुबोध खरे का कहना है कि उन्हें बनने में कम से कम तीन महीने लगेंगे। खरे ने बताया, गेंडेवाली सड़क पर अमृत योजना का काम पूरा करके दे दिया जाए तो हमें दो महीने सड़क बनाने में लगेंगे। एक महीना अमृत योजना के कार्य का मान लिया जाए तो तीन महीने में यह सड़क बनकर तैयार हो जाएगी। ऐसे तो तीन महीने तक ऊर्जा मंत्री को बिना जूते चप्पल के रहना पड़ेगा।

शहर की सड़कों को लेकर हंगामा पुराना है। कुछ दिन पहले सिंधिया समर्थक मुन्नालाल गोयल ने पिंटो पार्क गोला का मंदिर की जर्जर सड़क पर महापौर को 15 दिन का अल्टीमेटम देकर धरना देने की बात कही थी। इसके बाद महापौर डॉ. शोभा सिकरवार ने सिंधिया समर्थक को कहा था सालों से उनकी सरकार है उन्होंने क्यों नहीं बनवाई सडकें। अब इन सड़कों पर शिवराज सरकार में ऊर्जा मंत्री प्रद्युम्न सिंह तोमर का दर्द झलका है। उन्होंने 3 सड़कों को लेकर नाराजगी जताई।

कांग्रेस ने कहा- पद छोड़ दें ऊर्जा मंत्री, जनता अब मुर्ख नहीं बनेगी

ऊर्जा मंत्री प्रद्युम्न सिंह तोमर के इस तरह जूते त्यागने पर कांग्रेस के जिलाध्यक्ष देवेन्द्र शर्मा ने कहा है कि ऊर्जा मंत्री अपनी नाकामी छुपाने के लिए यह नौटंकी कर रहे हैं। सड़क बनाने में वह असफल रहे हैं और वह दो महीने पहले महापौर बनी डॉ. शोभा सिकरवार पर सड़कें न बनवाने का आरोप लगा रहे हैं, जबकि खुद सालों से मंत्री हैं। अब जूते त्यागना भी नौटंकी है। पर उनको जूते त्यागने के बदले पद त्यागना चाहिए। पद छोड़ दें तो ठीक रहेगा, क्योंकि अब जनता मुर्ख नहीं बनेगी।

कांग्रेस ने यह भी आरोप लगाया है कि जब भी चुनाव निकट आते हैं तो प्रद्युम्न सिंह तोमर इस तरह की हरकत करने लगते हैं। अब यह तरीका भी चुनाव से पहले जनता के बीच में जाने का है, जिससे जनता को लगे कि मंत्री उनके लिए सब कुछ कर रहे हैं, लेकिन मंत्री का काम खुद नाले मंे उतरना या झाडू लगाना नहीं बल्कि लगवाना है। जूते त्यागने से अच्छा कोई एक्शन लेते।

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