मध्य प्रदेश

भोपाल गैस त्रासदी: सुप्रीम कोर्ट में दो दिन से हो रही सुनवाई

भोपाल। यूनियन कार्बाइड गैस त्रासदी में प्रभावितों को अतिरिक्त मुआवजे को लेकर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई चल रही है। पिछले दो दिन से सुनवाई करते हुए दलीलें रखी जा रही हैं। वहीं, गुरुवार को गैस त्रासदी से जुड़े संगठन अपनी बात रखेंगे। संगठन के पदाधिकारियों का कहना है कि सुप्रीम कोर्ट में हम अपना पक्ष मजबूती से रख रहे हैं, लेकिन यूनियन कार्बाइड प्रबंधन अतिरिक्त मुआवजा देने से आना-कानी कर रही है।

उल्लेखनीय है कि 2-3 दिसंबर 1984 की दरमियानी रात में विश्व की सबसे बड़ी दुर्घटनाओं में से एक भोपाल गैस त्रासदी हुई थी। इस दिन यूनियन कार्बाइड फैक्ट्री के एक टैंक से जहरीली मिथाइल आइसोसाइनाइट गैस रिस गई थी। इसके बाद शहर में लाशें बिछ गई थीं, जिन्हें ढोने के लिए गाड़ियां कम पड़ गई थीं। वहीं लाखों लोग गंभीर बीमारियों की चपेट में आ गए थे, इनमें से कई आज भी उस त्रासदी को झेल रहे हैं। पिछले महीने ही 38वीं बरसी मनाई गई। वहीं, गैस त्रासदी से जुड़े संगठन उचित मुआवजे को लेकर लगातार मांग उठा रहे थे। भोपाल के नीलम पार्क में एक महीने तक धरना प्रदर्शन भी किया गया, ताकि केंद्र और राज्य सरकार सुप्रीम कोर्ट में मौत और प्रभावितों के सही आंकड़े प्रस्तुत कर सकें।

आज हमारी ओर से रखा जाएगा पक्ष: रचना ढींगरा

भोपाल ग्रुप फॉर इंफॉर्मेशन एंड एक्शन की रचना ढींगरा के मुताबिक 10 जनवरी से सुधार याचिका पर सुनवाई हो रही है। 12 जनवरी को हम अपना पक्ष रख सकते हैं। सरकार से मांग की जा रही है कि वह सही आंकड़े पेश करें, जिससे गैस पीड़ितों के साथ न्याय हो सके। गैस पीड़ित पेंशनभोगी संघर्ष मोर्चा के अध्यक्ष बालकृष्ण नामदेव ने कहा कि 1997 में मृत्यु के दावों के पंजीकरण को रोकने के बाद सरकार सर्वोच्च न्यायालय को बता रही है कि आपदा के कारण केवल 5,295 लोग मारे गए। जबकि आधिकारिक रिकॉर्ड स्पष्ट रूप से बताते हैं कि 1997 के बाद से आपदा के कारण होने वाली बीमारियों से हजारों लोग मरते रहे हैं। मृत्यु का वास्तविक आंकड़ा 25 हजार से ज्यादा है। इसके चलते पिछले कई महीनों से  हम आंदोलन कर रहे थे।

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