मध्य प्रदेश

आदिवासी संगठन के बागी तेवर, जयस संरक्षक हीरालाल अलावा के ऐलान के बाद से कांग्रेस में खलबली, कांग्रेस विधायक बोले- सरकार बनानी है तो जयस जरूरी …

भोपाल. मध्यप्रदेश में आदिवासी संगठन जयस के अकेले चुनाव लड़ने के ऐलान के बाद से कांग्रेस में खलबली मच गई है. कांग्रेस के विधायकों का कहना है कि अगर हमें 2023 में सरकार बनानी है तो जयस जरूरी है. बता दें कि जयस के संरक्षक हीरालाल अलावा ने ऐलान किया है कि उनका संगठन आगामी विधानसभा चुनाव में 80 सीटों पर अकेले चुनाव लड़ेगा. हीरालाल अलावा के इस बयान ने कांग्रेस की चिंता बढ़ा दी है.

मध्यप्रदेश के आलोट क्षेत्र के कांग्रेस विधायक मनोज चावला ने कहा कि 2018 में जयस की बदौलत ही कांग्रेस की सरकार बनी थी. जयस आदिवासी क्षेत्रों में मजबूत पकड़ रखती है, जिसका कांग्रेस को बड़ा फायदा हुआ था. कांग्रेस विधायक ने आरोप लगाया कि जयस को बीजेपी भड़का रही है. हमें जयस से बात करनी होगी. 2023 में कांग्रेस को सरकार बनानी है तो जयस का साथ जरूरी है. प्रदेश में कांग्रेस के कुछ अन्य विधायक भी जयस को साथ लेकर ही चुनाव लड़ने के पक्ष में बताए जाते हैं.

उल्लेखनीय है कि जय युवा आदिवासी संगठन (जयस) आगामी 20 अक्टूबर को धार के कुक्षी में एक महापंचायत का आयोजन करेगा. बताया जा रहा है कि इस महापंचायत में अगले साल होने वाले विधानसभा चुनाव की रणनीति पर चर्चा होगी. इस महापंचायत में आगामी चुनाव को लेकर रणनीति बनाई जाएगी. बता दें कि जयस का फिलहाल कांग्रेस पार्टी को समर्थन है. दरअसल पिछले विधानसभा चुनाव में कांग्रेस की जीत में आदिवासी मतदाताओं ने बड़ी भूमिका निभाई थी. अब अगर जयस अपने दम पर चुनाव लड़ता है तो इससे कांग्रेस के समीकरण बिगड़ सकते हैं.

ज्ञात हो कि प्रदेश में प्रदेश की कुल 230 विधानसभा सीटों में से 47 सीटें आदिवासी वर्ग के लिए आरक्षित हैं. साथ ही 80 से ज्यादा सीटों पर आदिवासी मतदाताओं का प्रभाव है. यही वजह है कि एमपी में सत्ता पाने के लिए आदिवासी वर्ग को साधना जरूरी होता है. इसलिए कोई भी राजनीतिक पार्टी आदिवासियों को अपने पाले से नहीं जाने देना चाहती. बीजेपी सरकार द्वारा भी हाल के दिनों में कई ऐसी योजनाएं लॉन्च की गई हैं, जिनमें आदिवासी कल्याण पर फोकस किया गया है. बीजेपी को आदिवासी वर्ग से आने वाली द्रौपदी मुर्मू को राष्ट्रपति बनाने का भी फायदा मिलने की उम्मीद है. खासकर आदिवासी बाहुल्य क्षेत्र से जीतकर आने वाले कांग्रेस विधायकों का कहना है कि आदिवासियों को अपने पाले में पुन: लाने और बीजेपी से दूर करने के लिए पार्टी आलाकमान को तगड़ी ब्यूह रचना बनानी होगी.

जयस के संरक्षक और कांग्रेस विधायक हीरालाल अलावा ने राज्य की 80 सीटों पर जयस के झंडे तले चुनाव लड़ने का ऐलान कर दिया है. जयस के इस ऐलान से कमलनाथ के समीकरण बिगड़ सकते हैं और अगले साल होने वाले विधानसभा चुनाव में कांग्रेस को बड़ा झटका लग सकता है. आदिवासी संगठन जयस के संरक्षक हीरालाल अलावा ने ऐलान किया है कि उनका संगठन 2023 में अपने दम पर चुनाव लड़ेगा. हालांकि अब हीरालाल अलावा के बागी तेवरों ने कमलनाथ और कांग्रेस की चिंता बढ़ा दी है. 2018 के विधानसभा चुनाव में आदिवासियों का समर्थन कांग्रेस को मिला था. जिसका बीजेपी को नुकसान उठाना पड़ा था. अब अगर जयस अपने दम पर चुनाव मैदान में उतरता है तो कांग्रेस को आदिवासी वोटों का नुकसान होना तय माना जा रहा है.

मध्य प्रदेश की राजनीति में आदिवासी वोटबैंक निर्णायक माना जाता है. एमपी में कुल जनसंख्या की 22 फीसदी आबादी आदिवासियों की है. आदिवासी वर्ग में जयस की लोकप्रियता तेजी से बढ़ रही है. एमपी में ही जयस के कार्यकर्ताओं की संख्या बढ़कर 6 लाख तक पहुंच गई है. वहीं देशभर में इस संगठन के कार्यकर्ताओं की संख्या करीब 25 लाख हो गई है. एमपी के जनजातीय बहुल इलाकों में जयस की मजबूत पैठ है.

Back to top button