छत्तीसगढ़बिलासपुर

कानन जू में दो मोर में संघर्ष से एक मयूर की मौत, दो दिन पहले बाघिन के शावक की गई थी जान

बिलासपुर । कानन पेंडारी जू में एक बार फिर वन्य प्राणियों की मौत का सिलसिला शुरू हो गया है। बीते बुधवार की सुबह बाघ के नर शावक मितान की मौत हो गई थी। प्रबंधन ने बताया था कि वह दो दिन से बीमार था और भोजन छोड़ दिया था। उसके शव का पोस्टमार्टम कराने के बाद दावा किया गया कि शावक की मौत फेलाइन पेन ल्यूकोपेनिया वायरस से हुई है। यह खतरनाक वायरस है। इस वायरस की जानकारी मिलने के बाद जू प्रबंधन सकते में आ गया है। क्योंकि, रंभा के दो मादा शावक दिशा और अनंदी भी इस वायरस की चपेट में आ गए हैं। हालांकि, प्रबंधन का कहना है कि दोनो शावकों की तबीयत पहले से बेहतर है और लगातार उनकी निगरानी की की जा रही है।

बिलासपुर के कानन पेंडारी जूलॉजीकल पार्क में बाघिन के शावक की मौत के बाद अब एक मोर की मौत हो गई है। बताया जा रहा है कि केज में दो मोर के बीच आपसी संघर्ष हो गया था, जिससे एक मोर घायल हो गया था, जिसने इलाज के दौरान दम तोड़ दिया। वहीं, कानन में संक्रमण के चलते बाघिन रंभा के दो शावक बीमार हैं, जिनका इलाज चल रहा है।

इधर, बाघ के शावक के बाद मोर की मौत से कानन प्रबंधन में सनसनी फैल गई है। यही वजह है कि कानन प्रबंधन मोर की मौत के केस को दबाने का प्रयास कर रहा था और मीडिया को इसकी जानकारी तक नहीं दी गई। बताया जा रहा है कि दो मोर को सर्दी लग गई थी, जिन्हें डार्क रूम के केज पर रखा गया था। इसी दौरान दोनों का संपर्क हुआ और दोनों नर मोर आपस में लड़ने लगे। इस संघर्ष में एक नर मोर को गंभीर चोट लगी। इसके बाद भी प्रबंधन की ओर से कोई ध्यान नहीं दिया गया। गंभीर चोट होने की वजह से नर मोर के शरीर में इंफेक्शन फैल गया, जिससे उसकी मौत हो गई। मोर का पोस्टमार्टम कर अंतिम संस्कार कर दिया गया है।

बताया जा रहा है कि मोर की मौत छह दिन पहले ही हो गई थी, जिसे प्रबंधन ने दबा दिया था। बाघ के शावक की मौत हुई, तब यह मामला सामने आया है। इस बीच मोर की मौत को प्रबंधन दबाने की कोशिश में था।

साल 2022 में जनवरी का महीना बीतने के बाद कानन जू में हर महीने वन्य प्राणियों की मौत हो रही थी। बाघिन रजनी और चेरी के बाद लायनेस मौसमी की अप्रैल में मौत हो गई थी। इस ढाई महीने में कानन जू में 9 वन्यप्राणियों की मौत से वन प्रबंधन सकते में आ गया था। 12 फरवरी को सुबह 4 साल की मादा हिप्पोपोटामस सहेली की मौत हुई थी। दूसरी तरफ 266 दिन तक इलाज के बाद मादा बाघिन रजनी ने 3 मार्च को दम तोड़ दिया था। 18 अप्रैल की शाम को लायनेस मौसमी की डिलीवरी के दौरान मौत हो गई थी।

26 फरवरी 2022 को भालू कुश की मौत हुई। उसका बिसरा जांच के लिए बरेली सहित अन्य स्थानों पर भेजा गया। उसके ठीक 12 दिन बाद 10 मार्च को उसी हालत में भालू कन्हैया की मौत हो गई। इसके बाद जू प्रबंधन ने वन्य प्राणी विशेषज्ञों से संपर्क किया था, तब कै-नाइन हेपेटाइटिस का संक्रमण होने की आशंका जताई गई थी। इस बीच तीसरी मादा भालू कविता भी संक्रमित हो गई और 25 मार्च को उसकी मौत हो गई।

4 अप्रैल 2022 की सुबह बाघ भैरव और बाघिन चेरी के केज में घुस गया था। वहीं, चेरी केज में खून से क्षत-विक्षत पड़ी थी और उसकी मौत हो गई थी। बताया गया कि बाघ भैरव ने स्लाइडर केज का कूंदा तोड़कर बाघिन चेरी पर हमला कर उसे मार दिया था।

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