जबलपुर और शहडोल सरकारी मेडिकल कॉलेज को मिल सकता है एनएबीएच प्रमाण पत्र
रीवा मेडिकल कॉलेज के सुपर स्पेशियलिटी विभाग को मिल चुका है प्रमाण पत्र
भोपाल। प्रदेश के सरकारी मेडिकल कॉलेजों से संबद्ध अस्पतालों में सेवाओं की गुणवत्ता सुधारने के लिए एनएबीएच (नेशनल एक्रेडिटेशन बोर्ड फार हास्पिटल्स) प्रमाणीकरण कराया जा रहा है। प्रमाण पत्र मिलने के बाद अस्पताल को आयुष्मान भारत योजना के तहत तय पैकेज में गैर आयुष्मान अस्पताल की तुलना में ज्यादा राशि मिलेगी। अस्पतालों में सेवाओं की गुणवत्ता भी बेहतर होगी। चिकित्सा शिक्षा विभाग ने प्रदेश के सभी सरकारी मेडिकल कॉलेजों के एनएबीएच प्रमाणीकरण के लिए आवेदन किया है।
तीन दिन पहले रीवा मेडिकल कॉलेज के सुपर स्पेशियलिटी विभाग को संपूर्ण एनएबीएच प्रमाण पत्र मिला है। अब इसी माह शहडोल और जबलपुर के सरकारी मेडिकल कॉलेज से संबद्ध अस्पतालों को भी एनएबीएच प्रमाण पत्र मिलने की उम्मीद है। भारतीय गुणवत्ता परिषद द्वारा बनाया गया बोर्ड यह प्रमाण पत्र देता है। चिकित्सा शिक्षा विभाग के अधिकारियों ने बताया कि पांच वर्ष के लिए यह प्रमाण पत्र मिलेगा। इस दौरान हर वर्ष क्वालिटी काउंसिल आफ इंडिया का दल जांच करने के लिए आएगा। निरीक्षण में यह देखा जाएगा कि जिन मापदंडों के लिए एनएबीएच प्रमाण पत्र मिला है, उनका पालन हो रहा है या नहीं। पालन नहीं होने पर ने एनएबीएच मान्यता छिन जाएगी।
प्रमाण पत्र मिलने के बाद अस्पतालों में इस तरह होगा सुधार
- समय-समय पर संक्रमण रोकथाम समिति की बैठक करानी होगी। संक्रमण रोकथाम के लिए तय मापदंडों का पालन करना होगा
- प्रदूषण नियंत्रण मंडल के निर्धारित मापदंडों के अनुसार बायो मेडिकल वेस्ट का निपटान करना होगा।
- सेवाओं की गुणवत्ता बनाए रखने के लिए सभी डॉक्टर और कर्मचारियों को ट्रेनिंग दी जाएगी।
- मरीज और स्वास्थ्य कर्मचारियों को एटामिक एनर्जी रेगुलेटरी बोर्ड के मापदंड के अनुसार रेडिएशन से बचाने के लिए सीटी स्कैन, एक्सरे, मेमोग्राफी आदि मशीनों का संचालन करना होगा।
- व्यवस्थाओं से जुड़े सभी रिकार्डों का समुचित संधारण करना होगा।