बोर्ड ऑफ डायरेक्टर्स से हटेंगे सौरव गांगुली….
नई दिल्ली। इंडियन प्रीमियर लीग (आईपीएल) 2022 में इस बार दो और नई टीमें लखनऊ और अहमदाबाद शामिल हो चुकी हैं। बीते सोमवार(25 अक्टूबर) को दुबई में इन नई टीमों के लिए बोली लगाई गई। जिसमें अहमदाबाद को सीवीसी कैपिटल (CVC Capital) ने और संजीव गोयनका के आरपीएसजी (RPSG) ने लखनऊ की टीम खरीदी। बता दें कि बीसीसीआई को इन दोनों टीमों से 12 हजार करोड़ रुपए से अधिक की कमाई हुई है।
हालांकि लखनऊ टीम के मालिक और देश के जाने माने उद्योगपतियों में शामिल संजीव गोयनका और बीसीसीसीआई अध्यक्ष सौरव गांगुली के बीच रिश्ते को लेकर सवाल भी खड़े हो रहे हैं। दरअसल सौरव गांगुली और संजीव गोयनका के एक फुटबॉल टीम के सह-मालिक हैं। ऐसे में गांगुली को लेकर हितों के टकराव का मामला बनता दिखाई दे रहा है।
बता दें कि इंडियन सुपर लीग (आईएसएल) फुटबॉल क्लब एटीके मोहन बागान की आधिकारिक वेबसाइट के अनुसार, गांगुली इसके निदेशक मंडल के सदस्य हैं तो वहीं गोयनका इसके अध्यक्ष हैं। वेबसाइट में कहा गया है कि, “टीम का मालिकाना हक रखने वाली कोलकाता गेम्स एंड स्पोर्ट्स प्राइवेट लिमिटेड में सौरव गांगुली, व्यवसायी हर्षवर्धन नियोटिया, संजीव गोयनका और उत्सव पारेख के साथ शामिल हैं।
फिलहाल द इंडियन एक्सप्रेस ने हितों के टकराव को लेकर जब गोयनका और गांगुली से बात करनी चाही तो उन्होंने इसपर कोई जवाब नहीं दिया। वहीं मंगलवार को सीएनबीसी टीवी18 के साथ एक साक्षात्कार में संजीव गोयनका ने कहा कि मुझे लगता है कि गांगुली मोहन बागान टीम से पूरी तरह से अलग होने जा रहे हैं। लेकिन मंगलवार देर रात तक सौरव गांगुली ने एटीके मोहन बागान के साथ अपने भविष्य के बारे में कोई आधिकारिक घोषणा नहीं की थी।
अब अगर सौरव गांगुली इस फुटबॉल टीम से अलग भी होते हैं तो बीसीसीआई अध्यक्ष के रूप में फ्रैंचाइज़ी नीलामी प्रक्रिया में उनकी भागीदारी पर सवाल उठ सकते हैं, क्योंकि संजीव गोयनका के साथ उनका जुड़ाव रहा है। बता दें कि सौरव गांगुली 2019 से बीसीसीआई अध्यक्ष हैं और बोर्ड द्वारा लिए गए सभी महत्वपूर्ण फैसलों में उनकी भूमिका है। सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों के बाद दोबारा तैयार किए गए बीसीसीआई संविधान में, न्यायमूर्ति आरएम लोढ़ा समिति ने कई संभावित संघों को सूचीबद्ध किया जो हितों के टकराव के दायरे में आते थे।
उल्लेखनीय है कि सौरव गांगुली को लेकर हितों के टकराव का मामला पहली बार सामने नहीं आया है। आईपीएल 2016 में दो साल के लिए शामिल हुई पुणे टीम के मालिकाना हक को लेकर तत्कालीन पश्चिम बंगाल क्रिकेट बोर्ड के अध्यक्ष रहे सौरव गांगुली का नाम हितों के टकराव मामले में आया था।