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पंखों से नहीं हौसलों से उडान भरते थे अहमद पटेल …

नई दिल्ली (संदीप सोनवलकर) । कांग्रेस के चाणक्य कहे जाने वाले अहमद पटेल को पत्रकारिता से लेकर राजनीति तक के सारे लोग अहमद भाई ही कहते थे और वो भी सबके साथ हर तरह का फासला भुलाकर भाई की तरह ही मिलते थे।उनसे आखिरी लंबी मुलाकात महाराष्ट्र में सरकार के गठन के समय हुयी थी। तब उन्होंने राज्य में सरकार के बारे में कुछ जानकारी मांगी थी।अहमद भाई की सबसे बडी खासियत यही थी कि वो किसी से भी उतनी सहजता से जानकारी लेते थे जितनी किसी बड़े व्यक्ति से।

अहमद भाई से मेरी पहचान 2007 के आसपास हुयी तब वो सत्ता धारी कांग्रेस के सबसे बडे व्यक्ति थे तब उनसे पहचान रखना कांग्रेस कवर करने वाले पत्रकारों के लिए बडी बात मानी जाती थी। तब कांग्रेस के कई बडे रिपोर्टर उनके नाम पर धौंस दिखाया करते थे। किसी तरह मैंने उनका नंबर जुगाडा और उनको ये लिखा कि मैं भी कांग्रेस कवर करता हूं सहयोग बनाये रखें। आश्चर्य ये कि बस कुछ मिनटों में ही उनका उत्तर आ गया और अगले दिन मिलने भी बुला लिया। उसके बाद से जब भी उनको संदेश दो या घर पर उनके सचिव हक साहब के पास लिखवा दो रात डेढ दो बजे अहमद भाई का फोन जरुर आ जाता था। ये सहजता और आत्मीयता ही उनका सबसे बड़ा गुण था कि एक बार मिलने के बाद हर कोई उनको अपना मानता था।

अन्ना आंदोलन के समय सब परेशान थे तो संसद के गेट नंबर बारह पर उनसे मुलाकात हुयी।एक बडे पत्रकार ने उनसे कहा था कि पृथ्वी राज चव्हाण का इस्तेमाल करो तो बात बन जायेगी। अहमद भाई जानते थे कि मैं महाराष्ट्र कवर कर चुका हूं। उन्होंने मुझसे पूछा कि क्या पृथ्वीराज चव्हाण जो उस समय प्रधानमंत्री कार्यालय में राज्यमंत्री थे, कैसे रहेंगे। मैंने अपने अनुभव के आधार पर कहा कि वो कुछ नहीं कर पायेंगे आप तो  विलासराव देशमुख को बोलें तो काम हो जायेगा। अहमद भाई  ने मेरी बात ध्यान से सुनी।इतना ही नहीं इसके तुरंत बाद जब वहीं शरद पवार साहेब दिख गये तो अहमद भाई ने उनसे पूछा कि विलासराव कैसे रहेंगे। शरद  पवार जी ने भी कहा कि सबसे सही रहेगा। उसके एक दिन बाद ही विलासराव जी ने भैययू जी महाराज  को बुला लिया और अण्णा मन गये। यही अहमद भाई की समझ थी।जो किसी छोटे रिपोर्टर से भी पूछ लेते थे।

ऐसे कई किस्से अहमद भाई के लोग सुनते और सुनाते हैं। जब पार्टी में राहुल गांधी अध्यक्ष बन गये तो कहा जाने लगा कि अहमद भाई के पर काट दिये जायेंगे। संसद में ऐसे ही एक पत्रकार ने खुलकर कह दिया सुना है कि आपके पर काट दिये जायेंगे। अहमद भाई हंसे और बोले हम पंखों से नहीं हौसलों से उडान भरते हैं।हम सब देखते रह गये। अहमद भाई की कमी कांग्रेस को बहुत खलेगी। मुरली भाई देवडा के बाद वही थे जो उन तमाम लोगों को जोडे हुये थे जो कांग्रेसी नहीं थे लेकिन अहमद भाई अंगर कहते तो सब मदद के लिए तैयार रहते।

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