लेखक की कलम से

मां के दिल जैसा कोई दिल नहीं होता …

मां को समर्पित मदर्स डे
✍ ■ हेमलता म्हस्के

 

 

मां ही दुनिया की अकेली वह शख्स होती है जो अपनी संतानों का चेहरा देखकर ही समझ जाती है कि संतानों को क्या चाहिए। मां बिना कहे खुद की चेतना से ही बड़े बड़े दु:खों को झेल कर भी बच्चों का सब दु:ख हर लेती है और उसे खुशियों की थपकी देकर निहाल कर देती है। मां की ममता से बड़ी कोई भावना नहीं। मां के त्याग से बड़ा कोई कर्तव्य नहीं। मां ही देश की रीढ़ होती है क्योंकि देश की नई पीढ़ियों को वही गढ़ती है। मां से बडी कोई हस्ती नहीं।

मां हर किसी के जीवन में हमेशा उपस्थित रहती है। अपनी संतानों के लिए ताउम्र जीवित रहती है। अपने बच्चों के लिए वह मर कर भी नहीं मरती। वह हमेशा अपने बच्चों की जिंदगियों में मौजूद रहती हैं। वह बच्चों के लिए प्रेरणा होती है और उनके व्यक्तित्व और भविष्य की निर्माता होती है। वह दु:ख में सहारा होती है और सुख में बच्चों की शान होती है। वह बड़ी से बड़ी कुर्बानियां करने में कभी पीछे नहीं रहती। घर अमीर है और उसमें मां नहीं है तो उस अमीरी में भी खुशी नहीं होती। घर गरीब हो लेकिन वहां मां होती है तो वहां कमियां नहीं कुलबुलाती बल्कि खुशियों का साम्राज्य छाया रहता है।

मां के त्याग की गाथाएं अनंत हैं क्योंकि उनके अनेक रूप होते हैं। वह प्यार, निस्वार्थ सेवा, दया, क्षमा, सहनशीलता और समर्पण की जीती जागती प्रतिमा होती है। इंसान की वह जन्मदाता होती है और सबसे अच्छी और सच्ची दोस्त होती है। वे अपने बच्चों को खुद को मिटा कर भी आबाद करती हैं। बच्चों के लालन पालन में कोई कमी नहीं छोड़ती। संसार में मनुष्य सहित सभी जीव जंतुओं की मां भी अपने बच्चों के लिए एक जैसी ही भावना शील होती है। मां पर अनेक कविताएं, गीत और गाथाएं रची गई हैं। मां बच्चों के लिए सब कुछ कर सकती है। कहा जाता है कि संतान भले कुसंतान हो जाए पर माता कभी कुमाता नहीं होती।

अपने देश में मां का महत्व बहुत रहा है। हर देवी को मां कह कर पुकारा जाता है। हर पर्व त्योहार में और सामाजिक उत्सवों में मां ही सर्वोच्च होती हैं। इसलिए मां के लिए अलग से कोई डे नहीं रहा। क्योंकि अपनी संस्कृति में मां अपनी भूमिका के कारण हमेशा उपस्थित रहती है। संतानों के घर में जीवन में उनका बहुत दखल रहता है। मदर्स डे की शुरुआत भले अपने देश में नहीं हुई लेकिन मजुदा दौर में मदर्स डे मनाने की प्रासंगिकता अपने देश में भी है, क्योंकि विस्थापन के कारण अब मां हमेशा संतानों के पास नहीं होती है।

मातृ दिवस माता को सम्मान देने के लिए मनाया जाता है। एक मां का आँचल अपनी संतान के लिए कभी छोटा नहीं पड़ता। माँ का प्रेम अपनी संतान के लिए इतना गहरा और अटूट होता है कि माँ अपने बच्चे की खुशी के लिए सारी दुनिया से लड़ लेती है। एक मां का हमारे जीवन में बहुत बड़ा महत्व है, एक मां बिना ये दुनियां अधूरी है।

मातृ दिवस मनाने का प्रमुख उद्देश्य मां के प्रति सम्मान और प्रेम को प्रदर्शित करना है भी है। मदर्स डे पर मां के महत्व को समझना, उनकी ओर ध्यान केंद्रित करना और कुछ प्रेरणा पा लेने के साथ मां को भी यह अहसास करने का मौका मिलता है जब वे अपने किए का हासिल पा सके। इससे उनके जीवन में भी ताज़गी अा जाती है। मां का क़र्ज़ कभी चुकाया नहीं जा सकता लेकिन मदर्स डे के बहाने हम उनका सत्कार कर सकते हैं उनके योगदान के महत्व को स्वीकार कर सकते हैं और उनसे प्रेरणा लेकर अपने जीवन को समृद्ध कर सकते हैं। मां के जीवन में कभी छुट्टी नहीं होती रविवार को भी छुट्टी नहीं होती वह हर समय कार्यशील रहती है।

मां के प्रति हर एक रोज आभार प्रकट करें तो भी कम होगा। बावजूद एक दिन का मदर्स डे भी कम महत्वपूर्ण नहीं है। मां को कुछ विशेष महसूस कराने के मकसद से यह दिवस आज पूरी दुनिया में मई महीने के दूसरे रविवार को मनाया जाता है। इसकी शुरुआत अमेरिका में हुई। अमेरिकन समाज कर्मी एना जार्विस ने इसकी शुरुआत की थी। वह अपनी मां को बहुत प्यार करती थीं। मां की खातिर उन्होंने ना शादी की और ना ही संतानों को जन्म दिया। जब उनकी मां की मौत हो गई तो उन्होंने उनके प्रति प्यार और आभार प्रकट करने के लिए एक दिन तय किया। धीरे धीरे यह दिन पूरी दुनिया में मनाया जाने लगा ।

मदर्स डे लोग अलग-अलग तरीके से मनाते हैं। कुछ लोग अपनी मां को मदर्स डे पर तोहफे देते हैं तो कुछ उनके लिए कुछ स्पेशल करते हैं। लोग, मां के प्रति अपनी भावनाओं को अलग-अलग तरीके से जाहिर करते हैं।

आधुनिक मातृ दिवस एना जार्विस के द्वारा समस्त माताओं तथा मातृत्व के लिए खास तौर पर पारिवारिक एवं उनके आपसी संबंधों को सम्मान देने के लिए आरम्भ किया गया था। 8 मई, 1914 को राष्ट्रपति वुडरो विल्सन ने मई के दूसरे रविवार को एक संयुक्त प्रस्ताव पर हस्ताक्षर किया, जिसे मदर्स डे के रूप में मनाया गया। यह दिवस अब दुनिया के हर कोने में अलग-अलग दिनों में मनाया जाता हैं। जैसे कि पिताओं को सम्मान देने के लिए पितृ दिवस की छुट्टी मनाई जाती हैं, उसी तरह मातृ दिवस की भी छुट्टी होती है। मातृ दिवस को लेकर कई मान्यताएं हैं।

कुछ विचारकों का मत है कि मातृ पूजा की रिवाज़ पुराने ग्रीस से उत्पन्न हुई है जो स्य्बेले ग्रीक देवताओं की मां थीं, उनके सम्मान में ही मातृ दिवस मनाया जाता है। यह त्यौहार एशिया माइनर के आस-पास और साथ ही साथ रोम में भी वसंत ऋतु में मार्च 15 मार्च से 18 मार्च तक मनाया जाता था। प्राचीन रोमवासी एक अन्य छुट्टी भी मनाते थे, जिसका नाम है मेट्रोनालिया, जो जूनो को समर्पित था, इस दिन माताओं को उपहार दिये जाते थे।

यूरोप और ब्रिटेन में कई प्रचलित परम्पराएं हैं जहां एक विशिष्ट रविवार को मातृत्व और माताओं को सम्मानित किया जाता है जिसे मदरिंग सन्डे कहा जाता था। परम्परानुसार इस दिन प्रतीकात्मक उपहार देने तथा कुछ परम्परागत महिला कार्य जैसे अन्य सदस्यों के लिए खाना बनाने और सफाई करने को प्रशंसा के संकेत के रूप में चिह्नित किया गया था।

मातृ दिवस, अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस के रूप में कई देशों में 8 मार्च को मनाया जाता हैं। “मदर डे प्रोक्लामेशन” जुलिया वार्ड होवे द्वारा सर्वप्रथम अमेरिका में मातृ दिवस मनाया गया था। होवे द्वारा 1870 में रचित “मदर डे प्रोक्लामेशन” में अमेरिकन सिविल वार (युद्घ) और फ्रांको-प्रुस्सियन वार में हुई-मारकाट में शांतिवादी प्रतिक्रिया लिखी गयी थी। यह प्रोक्लामेशन होवे का यह नारीवादी विश्वास था कि महिलाओं को राजनीतिक स्तर पर अपने समाज को आकार देने का सम्पूर्ण दायित्व मिलना चाहिए।

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