लेखक की कलम से

सूरत और सीरत…

✍बोधकथा

 

एक सभा में गुरुजी ने प्रवचन के दौरान

एक 30 वर्षीय युवक को खडा कर पूछा कि

– आप मुम्बई में जुहू चौपाटी पर चल रहे हैं और सामने से एक सुन्दर लडकी आ रही है तो आप क्या करोगे ?

युवक ने कहा – उस पर नजर जायेगी, उसे देखने लगेंगे।

गुरुजी ने पूछा – वह लड़की आगे बढ़ गयी तो क्या पीछे मुड़कर भी देखोगे ?

लडके ने कहा – हाँ, अगर धर्मपत्नी साथ नहीं है तो। (सभा में सभी हँस पड़े)

गुरुजी ने फिर पूछा – जरा यह बताओ वह सुन्दर चेहरा आपको कब तक याद रहेगा ?

युवक ने कहा 5 – 10 मिनट तक, जब तक कोई दूसरा सुन्दर चेहरा सामने न आ जाए।

गुरुजी ने उस युवक से कहा – अब जरा सोचिए,

आप जयपुर से मुम्बई जा रहे हैं और मैंने आपको एक पुस्तकों का पैकेट देते हुए कहा कि मुम्बई में अमुक महानुभाव के यहाँ यह पैकेट पहुँचा देना।

आप पैकेट देने मुम्बई में उनके घर गए।

उनका घर देखा तो आपको पता चला कि ये तो बड़े अरबपति हैं।

घर के बाहर 10 गाड़ियां और 5 चौकीदार खड़े हैं। आपने पैकेट की सूचना अन्दर भिजवाई तो वे महानुभाव खुद बाहर आए। आप से पैकेट लिया। आप जाने लगे तो आपको आग्रह करके घर में ले गए। पास में बैठकर गरम खाना खिलाया। जाते समय आप से पूछा – किसमें आए हो ? आपने कहा- लोकल ट्रेन में। उन्होंने ड्राइवर को बोलकर आपको गंतव्य तक पहुँचाने के लिए कहा और आप जैसे ही अपने स्थान पर पहुँचने वाले थे कि उस अरबपति महानुभाव का फोन आया – भैया, आप आराम से पहुँच गए।

अब आप बताइए कि आपको वे महानुभाव कब तक याद रहेंगे ?

युवक ने कहा – गुरुजी ! जिंदगी में मरते दम तक उस व्यक्ति को हम भूल नहीं सकते।

गुरुजी ने युवक के माध्यम से सभा को संबोधित करते हुए कहा

“यह है जीवन की हकीकत।”

“सुन्दर चेहरा थोड़े समय ही याद रहता है,__पर हमारा सुन्दर व्यवहार जीवनभर याद रहता है।

अतः जीवन पर्यन्त अपने व्यवहार को सुन्दर बनाते रहिए फिर देखिए आपके जीवन का रंग…..

©संकलन– संदीप चोपड़े, सहायक संचालक विधि प्रकोष्ठ, बिलासपुर, छग

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