लेखक की कलम से

उत्तराषाढ़ नक्षत्र का स्वागत

सूर्य मकर के चक्कर में है
दिन बड़ा होने वाला
जल में थल में उधम मची है पाप पुन्य धोने वाला
ग्रह नक्षत्र और राशियों में मनुज उलझकर रह जाता
छल कपट से जीनेवाले सत्य यहां मरनेवाला
समय-चक्र की दिशा बदली समझो समझने वाला!

©लता प्रासर, पटना, बिहार

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