आज़ादी के लिए तड़प …
अगर आज़ादी के लिए तड़प देखना चाहते हो
तो देखना जेल में बंद कैदियों को
तो देखना पिजड़े में बंद पंछियों को
या फिर कटने के लिए अपनी बारी का इंतजार करते पशुओं को
अगर आज़ादी के लिए तड़प देखना चाहते हो
तो चारदीवारी में बंद उस स्त्री को
जो चाहती है आत्मनिर्भर होना
या देखना मृत्यु शैय्या पर पड़े उस व्यक्त्ति को जो आज़ाद हो जाना है अपने ही शरीर से
लेकिन आप और मैं तो आज़ाद हैं
हां हम आज़ाद हैं पर पूर्णतः नहीं
क्योंकि आज़ाद शब्द नहीं है सिर्फ
समाहित है बहुत कुछ इसमें
हमें आज़ाद होना होगा
हमें आज़ाद होना होगा
धर्म के नाम पर होने वाली राजनीति से
हमें आज़ाद होना होगा
जातीय भेदभाव की मानसिकता से
हमें आज़ाद होना होगा
अंधविश्वास और कुरीतियों से
हमें आज़ाद होना होगा
तेरे और मेरे की भावनाओं से
पुरुषों को आज़ाद होना होगा स्त्रियों को सिर्फ देह मात्र समझने की सोच से
स्त्रियों को आज़ाद होना होगा खुद
को कमतर समझने की भावना से
हम सभी को खुद के अहंकार से
होंगे तभी हम आजाद
सही मायनों में आज़ाद
जय हिंद …
©वैशाली, गाज़ियाबाद, उत्तरप्रदेश