रणबांकुरे …
सरहदों पर जो तुम रणबांकुरे,
इस कदर खड़े हो।
तुम कहां उन दुश्मनों से डरे हो,
फौलादी है जज्बात तुम्हारे।
तुम तो उस हिमालय की चोटी से भी बड़े हो।
अडिंग रहा करते हैं सदा लक्ष्य तुम्हारे,
तुम्हारे शौर्य,पराक्रम व वीरता के आगे,
हर भारतीय नतमस्तक हो जाता है ।
देखकर तुम्हें फौजी वर्दी में,
हर युवा मन ही मन देशभक्त हो जाता है।
मां भारती का सदा तुम मान रखा करते हो,
तुम धूप,छांव आंधी,बारिश में,
हर मौसम में डटे रहा करते हो।
देश पर जब भी कोई विपदा आई,
तुम अग्रिम पंक्ति में तान के सीना,
सदा खड़े रहा करते हो।
आसमान भी झुक के तुम्हारी सहादत
को सलामी दिया करता है।
जय हिंद, जय हिंद के नारे से सम्पूर्ण
ब्रह्मांड भी गुंजायमान हो जाया करता है।
लिपटा देखकर बदन पर तुम्हारे तिरंगा,
हर भारतीय की आंखें नम हो जाया करती है।
तुम्हारे साहसी बलिदानों को सुनकर,
हर बालक उत्साह से भर जाता है।
अपनी मां से सौ सौ बार वीर पुत्रों की,
कहानी सुनना चाहता है।
सरहदों पर जो तुम रणबांकुरे,
इस कदर खड़े हो।
तुम कहां उन दुश्मनों से डरे हो।
©कांता मीना, जयपुर, राजस्थान