लेखक की कलम से

तब गीत मेरे अमर हो जाएंगे …

पढ़कर मेरे गीतों को जब तुम गुनगुनाओगी,

इनको-उनको सबको जब तुम सुनाओगी,,

गीतों से सबका मन जब तुम बहलाओगी!!

तब गीत मेरे अमर हो जाएंगे……१)

 

जिंदगी में जब किसी का अभाव मिलेगा,,

मेरे गीतों से तुमको अपना सा भाव मिलेगा,

गुनगुना कर अपनों की याद तुम दिलाओगी!!

तब गीत मेरे अमर हो जाएंगे……२)

 

लाता था जो ग़ुलाब उन्हें तुम याद करोगी,

माथे पर चुम्बन को जब तुम एहसास करोगी,,

जब गीतों के संग चूड़ियां खनखनाओगी!!

तब गीत मेरे अमर हो जाएंगे…….३)

 

प्रथम मिलन को जब तुम याद करोगी,

हो पहले सा मुमकिन ये फरियाद करोगी,,

जब पढ़कर गीत मेरे खुद को तड़पाओगी!!

तब गीत मेरे अमर हो जाएंगे……..४)

 

चाहती हो लौट आये बीते सब पल प्रिये,

नहीं आता बीता हुआ अब कल प्रिये,,

अपने किये पर जब तुम खुद पछताओगी!!

तब गीत मेरे अमर हो जाएंगे…….५)

 

मेरे गीत तुमको अफसाना सा लगता था,

मेरा चाहना तुमको बेगाना सा लगता था,,

अब कैसे मेरे गीतों को तुम रख पाओगी!!

तब गीत मेरे अमर हो जाएंगे……६)

©राजन गुप्ता जिगर, जौनपुर, यूपी

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