लेखक की कलम से

पोजिशन …

 

हर व्यक्ति अधिकतर व्यक्ति से प्रेम कम करता है,

व्यक्ति की पोजिशन और सूरत  से प्रेम ज्यादा करता है ।

अब तो रिश्ते कम चापलूसी का धंधा सा बनता जा रहा है।

भ्रष्टाचार के पंख तो निकलने ही है जितना कम करने की सोचता है व्यक्ति, उतना हवाएं रूख बदल देतीं है

बाजार की तरफ !

बाजर तो बढ़ेगा ही वर्ना व्यक्ति मानसिक बीमार और मूर्ख कहलाएगा ।

अब अपने टैलेंट को कहीं न कहीं तो खर्च करना ही है वर्ना जीवन का मूल्य नहीं बन पायेगा ।

और् अमूल्य बनने के लिये बहुत कुछ छोड़ के रह भी नही पायेगा ।

व्यक्ति है कोई चमत्कार तो नही जो फूंक मार कर सब कुछ पैदा कर ले, अगर ऐसा होता तो सारे चमत्कारी लोग और जादू दिखाने बाले लोग जादू दिखा कर पैसा नही कमा रहे होते जादू से खुद बना कर खर्च कर रहे होते ।

जिस तरह स्त्री पुरुष के लिये पानी है उतना ही पुरुष स्त्री के लिये पानी है ।

क्योंकि पानी ही जीवन है ……….

जीवन को जीवन ही रहने दें उसे अपनी ख्वाहिशों के आगे सूली पर न चढ़ाए ।

 

©शिखा सिंह, फर्रुखाबाद, यूपी

Back to top button