लेखक की कलम से

मेरे जीवन साथी …

मेरे जीवन साथी, जब से, साथ तुम्हारा पाया है

जीवन की हर कठिन डगर में, तुमने मुझे हँसाया है

दोस्त बनकर रहते हो तुम, हर पल हर क्षण साथ मेरे

तुमने हीं तो मुझको मेरे, अस्तित्व से मिलाया है

 

मेरे जीवन साथी, जब से, साथ तुम्हारा पाया है

 

जब भी  होती मैं हताश या होती जब कभी उदास

मैं हूँ सदा तुम्हारे साथ, ये कहकर मुझे बचाया है

 

मेरे जीवन साथी,जब से,साथ तुम्हारा पाया है

 

हर ख्वाहिश पूरी की तुमने, हर ज़िद को अपनाया है

नज़रंदाज कर मेरी ग़लतियाँ, बहुत कुछ मुझे सिखाया है

 

मेरे जीवन साथी, जब से, साथ तुम्हारा पाया है

 

मैं भी कुछ कर सकती हूँ, बन सकती हूँ मैं भी महान

तुमने ही तो ये कह कहकर, मुझको एहसास दिलाया है

 

मेरे जीवन साथी जब से, साथ तुम्हारा पाया है

 

©प्रीति पाठक, फरीदाबाद, हरियाणा         

परिचय: समाजशास्त्र में एमए, लैम्प पोस्ट चेरिटेबल ट्रस्ट के साथ समाजसेवा का कार्य, गीत, मुक्तक व कविताएं लिखना व मंच साझा करना.

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