लेखक की कलम से

मिल गया मुझको …

मिल गया मुझको

भी सुंदर प्रेम रूपी गहना

बांवरा मन देखने लगा सुंदर सपना

 

माथे की बिंदिया समझूं या कर्ण का कुंडल

गले का हार समझूं या हांथ का कंगन

 

बहुत प्यारा संगीत मुझको मिल गया अपना

 

मिल गया मुझको भी सुंदर प्रेम रूपी गहना

बांवरा मन देखने लगा सुंदर सपना

 

आंखो का काजल समझूं या कानों की बाली

हाथो की मेहंदी समझूं या होठ की लाली

 

सजाने संवारने वाला मनमीत प्यारा मुझको मिल गया अपना

 

मिल गया मुझको भी सुंदर प्रेम रूपी गहना

बांवरा मन देखने लगा सुंदर सपना

 

कमर में पहनूं करधन समझकर या तन पहनूं चुनरी समझकर

नाक की नथिया मैं समझूं या पहनूं बाल का गजरा समझकर

 

गुनगुनाने को गीत प्यारा मुझको मिल गया अपना

 

मिल गया मुझको भी सुंदर प्रेम रूपी गहना

बांवरा मन देखने लगा सुंदर सपना

 

©क्षमा द्विवेदी, प्रयागराज                

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