लेखक की कलम से
हमराही …
रिश्ता यह अनमोल है,
प्यार पर अपने हमें गुरूर है,
जान से भी ज्यादा हम चाहे उन्हें,
कुर्वा उनपर ये जहां है।
न आँसू उनके कभी आने पाए,
न जाने क्या सोच कर दिल घबराएँ।
न छूटे साथ यह मेरा,
न हो दिल कभी मैला।।
आँखें जब हमारी चार हुई,
देखते ही देखते कुछ बात हुई।
जाने-अनजाने न जाने क्यों दिल यह धड़के,
तुम्हारे आने पर खिल गई कलियाँ जैसे।।
सन्नाटों में तुम याद आते,
हसीन सपनों की हो जैसे बरसाते।
काश नकारात्मकता दूर होती
न मैं यूं मजबूर होती।
हाथ थामा है तो साथ चलकर
इस रिश्ते को हम निभाएंगे।
सपनों को न बिखरने देना
जीवन को यादगार हम बनाएँगे।।
गर दिल से तुम आवाज़ दो
खुदा की कसम अपना सबकुछ लुया दूँ।
तुम्हें छीन लूँ रबसे
तुम्हें दिल में छिपा दूँ।।
©डॉ. जानकी झा, कटक, ओडिशा