लेखक की कलम से

अफ़ग़ान …

१)

मन उदास है कि

दहशत में है देश

ख़ौफ़ज़दा है माँ

बिक रही बेटियाँ

मानवता शर्मसार

 

२)

नाचती है मौत

धर्म की तलवार

रूहों का बलात्कार

लहू के आँसू

मानवता शर्मसार

 

३)

कितनी छटपटाहट

बंधक लाचार

बेबस परिवार

मौत का इंतज़ार

मानवता शर्मसार

 

४)

फैली अराजकता

गिद्धों की सत्ता

क़त्ल -ए -आम

दहशत में जान

मानवता शर्मसार

 

५)

गोलियों की बौछार

मरते मासूम लाचार

आतंक का व्यापार

फैला अंधकार

मानवता शर्मसार

 

©डॉ. दलजीत कौर, चंडीगढ़                                                             

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