लेखक की कलम से
ओ फिजाओं थाम ले अश्क मेरे वो नायाब मोती हैं…
भादवी सुप्रभात
सहरा ए जिंदगी की
थोड़ी सी रेत हूं मैं
जो भी पास आता है
फूंक मार
उड़ा देना चाहता है
शायद
जद्दोजहद ही
रेत की नियति है!
© लता प्रासर, पटना, बिहार
भादवी सुप्रभात
सहरा ए जिंदगी की
थोड़ी सी रेत हूं मैं
जो भी पास आता है
फूंक मार
उड़ा देना चाहता है
शायद
जद्दोजहद ही
रेत की नियति है!
© लता प्रासर, पटना, बिहार