धर्म

चैत्र महीने में नीम के वृक्ष के समक्ष चमेली के तेल का दीया जलाएं, स्वास्थ्य में होगा लाभ

सनातन धर्म में नवरात्र को एक ऐसा समय माना जाता है, जिसमें देवी की पूजा करने से साधक की हर मनोकामना की पूर्ति हो सकती है। हिंदू मान्यताओं के अनुसार मुख्य रूप से साल में 2 बार नवरात्र मनाए जाते हैं। एक चैत्र नवरात्र और दूसरा शारदीय नवरात्र। इस साल चैत्र नवरात्र की 09 अप्रैल, मंगलवार के दिन से हो रही है।

नवरात्र में नाम का महत्व

चैत्र नवरात्रि में नीम की लकड़ियों से हवन किया जाता है। माना जाता है कि ऐसा करने से शनि और केतु के बुरे प्रभावों से राहत मिल सकती है। इसके साथ ही यह भी माना जाता है कि नीम की पत्तियों को पूजा में शामिल करने से माता अति प्रसन्न होती हैं। इसके साथ ही नवरात्र पर्व में नीम की सूखी लकड़ियां और सूखी पत्तियों से हवन करने से व्यक्ति को शुभ फलों की प्राप्ति हो सकती है। वहीं, अगर आपके घर में नीम का वृक्ष लगा हुआ है तो इससे भगवती मां आपसे प्रसन्न रहती हैं और वातावरण शुद्धता बनी रहति है।

रोगों से मिलेगी मुक्ति

चैत्र माह में मंगलवार के दिन नीम के पेड़ की पूजा करें और पेड़ में जल चढ़ाएं। इसके साथ ही वृक्ष के समक्ष चमेली के तेल का दीया जलाएं। ऐसा करने से आपको कई प्रकार के रोगों से मुक्ति मिल सकती है। इसके अलावा हनुमान जी की कृपा भी आप पर बनी रहती है। आप सभी रोगों से बचाव के लिए अगर नीम का उपयोग करते हैं, तो आपको नीम औषधीय गुण मिलने के साथ देवियों की कृपा भी प्राप्त होती है।
जरूर करें ये काम

चैत्र माह में पूजा के दौरान नीम के पत्तों को जरूर शामिल करें। यदि आपके घर में नीम का वृक्ष नहीं है तो ऐसे में आप अपने घर के मुख्य द्वार पर नीम के पत्तों का वंदनवार या तोरण लगाना चाहिए। इससे धार्मिक दृष्टि से बेहतर माना जाता है और इससे नकारात्मका आपके घर से दूर बनी रहती है।

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