धर्म

मां नर्मदा पंचकोशी परिक्रमा क्षेत्र अमरकंटक का प्रमुख तीर्थ दुर्गा धारा एवं माई का मड़वा …

नर्मदा परिक्रमा भाग -41

 

अक्षय नामदेव। दुर्गा धारा एवं माई का मड़वा मां नर्मदा पंचकोशी परिक्रमा क्षेत्र का प्रमुख तीर्थ है। यदि आप पंचकोसी परिक्रमा कर रहे हैं तो ज्वालेश्वर धाम से अमरेश्वर मंदिर होकर पहाड़ों के बीच कच्चे सड़क मार्ग से होते हुए आप दुर्गा धारा पहुंच सकते हैं। यह मार्ग साल वनो से होकर जाता है जहां दोनों और मैकल पर्वत श्रेणियां सुंदरता में वृद्धि करती हैं। रास्ते में दुर्गा धारा का उद्गम स्थल देखने को मिलेगा जिसे अमरेश्वर महादेव तीर्थ के गृहस्थ साधु महेंद्रानंद ने अपने निवास के अधीन कर रखा है । यही दुर्गाधारा पहाड़ों से बहती हुई आगे चलकर गौरेला पकरिया अमरकंटक मार्ग पर सुंदर जलप्रपात का निर्माण करती है तथा पहाड़ों से नीचे उतर कर नदी का रूप ले लेती है। यूं कहूं कि  पेंड्रारोड गौरेला से पकरिया होकर अमरकंटक जाने वाले प्राचीन प्रचलित मार्ग पर दुर्गा धारा नाम का सुंदर जलप्रपात पड़ता है जो आध्यात्मिक शांति एवं चेतना का प्रमुख केंद्र है । दुर्गा धारा ऊपर पहाड़ से गिर कर जलप्रपात बनाने के बाद सड़क पार कर नीचे उतर जाती है तथा यही दुर्गा धारा आमानाला कहलाती है और कहीं पर अमरावती गंगा कहलाती है। दुर्गा धारा (आमा नाला)अरपा नदी की सहायक नदी है जो पेंड्रारोड बिलासपुर रेलवे लाइन में खोंगसरा के जंगल में मैकल पर्वत की विशाल जल राशि लेकर अरपा नदी से मिल जाती है। दुर्गा धारा जलप्रपात से नीचे जाने पर पहाड़ों के नीचे आमानाला के तट पर ब्रह्मलीन महाराज पिपलायन स्वामी का आश्रम है जिसकी देखरेख राम लोचन दास महाराज कर रहे हैं।

पंचकोसी परिक्रमा करते हुए जब आप दुर्गा धारा पहुंचते हैं तो आप अमरकंटक जाने वाली दाहिनी सड़क पर धर्म पानी जाकर काली गुफा का दर्शन कर सकते हैं और धर्म पानी होते हुए माई की बगिया पहुंच सकते हैं जो पंचकोशी का सरल मार्ग होगा परंतु यदि आप मां नर्मदा पंचकोशी परिक्रमा का और ज्यादा आनंद उठाना चाहते हैं तो दुर्गा धारा से भाई और मुड़कर गौरेला जाने वाले रास्ते पर कुछ दूर चल कर ठाढ़पथरा गांव उतर जाएं। ठाढ़पथरा तक प्रधानमंत्री ग्रामीण सड़क योजना की पक्की सड़क बनी हुई है।

अमरकंटक की सुरम्य घाटियों के बीच बसे बैगा बाहुल्य ग्राम ठाढ़पथरा गांव को पार करने के बाद कच्ची पथरीली सड़क से होते हुए दुर्गम किंतु सुरम्य स्थान पर स्थित है माई का मड़वा। माई का मडवा पहुंचने तक दुर्गा धारा अर्थात आमानाला अर्थात अमरावती गंगा मार्ग में कई बार पार करना पड़ता है। जो लोग पंचकोशी यात्रा पर नहीं होते वे लोग गौरेला पेंड्रा रोड से टैक्सी के माध्यम से भी माई का मड़वा पहुंच जाते हैं तथा इस तीर्थ का दर्शन प्राप्त कर लेते हैं। इसके अलावा अमरकंटक आने वाले अनेक श्रद्धालु एवं तीर्थयात्री माई की बगिया पहुंच कर पूर्व दिशा की ओर 8 किलोमीटर दुर्गम पहाड़ी रास्ते पर उतर कर माई का मड़वा का दर्शन प्राप्त कर लेते हैं।

पौराणिक मान्यता के अनुसार माई का मड़वा वही स्थान है जहां मां नर्मदा एवं सोनभद्र का विवाह संपन्न होने वाला था जिसके लिए यहां सभी प्रकार की तैयारियां हो चुकी थी। यहां माई के मड़वा में चट्टानों पर अनेक ऐसी आकृति बनी हुई है जिसे ढोल तथा आटे की लोई का रूप माना जाता है देखने में भले यह पत्थर हैं परंतु मान्यता कहती है कि यह शादी की तैयारी थी। यहां 2 कुंड बने हुए हैं जिन्हें हांडी कुंडी कहा जाता है जनश्रुति यों के अनुसार यह मां नर्मदा को दिए जाने वाले दहेज के सामान थे।

जब आप माई का मड़वा पहुंच जाते हैं तब आपको दाहिनी और विशाल जलप्रपात देखने को मिलता है ।बरसात के दिनों में जलप्रपात की खूबसूरती देखते बनती है परंतु बरसात के दिनों में आप माई का मड़वा देखने के लिए आमानाला पार नहीं कर सकते। माई का मड़वा का दर्शन कर पंचकोसी परिक्रमा करने वाले परिक्रमा वासी पहाड़ी चढ़कर माई की बगिया पहुंच सकते हैं।

माई का मड़वा पहले बिल्कुल दुर्गम और एकांत था परंतु अब अमरकंटक चक्रतीर्थ के बाबा सीताराम ने यहां अपना एक विशाल आश्रम बना लिया है। आश्रम में पहुंचने के लिए आमानाला को पार करना पड़ता है ।बरसात में आमानाला को पार करना संभव नहीं होता इसलिए माई का मड़वा के दर्शन का सही समय अक्टूबर-नवंबर से जून तक ठीक रहता है। ध्यान रहे माई का मडवा भले ही गौरेला पेंड्रा मरवाही जिले में स्थित है परंतु यह तीर्थ मां नर्मदा पंचकोशी परिक्रमा तीर्थ अमरकंटक में है इस कारण यहां मांसाहार शराब खोरी जैसे पिकनिक के इरादे से ना जाए।

माई के मड़वा स्थित सीताराम बाबा के आश्रम में पंचमुखी हनुमान का मंदिर है जहां 24 घंटे रामचरितमानस का पाठ होता रहता है एवं अखंड दीप प्रज्वलित है। इसी हनुमान महाराज के ठीक बगल में भोलेनाथ का विशाल शिवलिंग है जहां सीताराम बाबा की धूनी रमीं हुई है। आश्रम के पीछे हिस्से में भगवान राम माता सीता एवं लक्ष्मण के साथ मां नर्मदा की सुंदर प्रतिमा विराजमान है। सीताराम बाबा हमेशा यहां नहीं रहते। वे कभी यहां, कभी चक्रतीर्थ अमरकंटक में रहते हैं। माई के मड़वा में आश्रम के पीछे की ओर जाने पर सीढ़ियों से उतर कर आप प्रकृति का विहंगम दृश्य के बीच माई के मड़वा का दर्शन कर सकते हैं। यह एक गुफा रूप में है जिसका वर्णन शब्दों से कर पाना मुश्किल है। आप स्वयं यहां पहुंच कर यहां की आध्यात्मिक अनुभूतियों का आनंद ले सकते हैं।

 

       नर्मदे हर

       

                 क्रमशः

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