लेखक की कलम से

होली के रंग …

देश प्रेम का रंग लगा दें,

          आने वाली इस होली में ।

व्यर्थ करें न पावन होली,

         केवल हँसी-ठिठोली में ।

जाति-वर्ग व ऊँच-नीच का,

      भेद मिटा दें अबकी बार ।

माधव सहज मिल जाएं ?,

      श्रमिक वर्ग की खोली में ।।

©रानी साहूरानी, मड़ई (खम्हरिया)

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