लेखक की कलम से

वर्ष 2020 ….

 

चला जायेगा मेरे दर से

एक ख्याल की तरह

नहीं भूल सकती मैं उसे

बुरे ख्याल की तरह

कैसे कह दूं अलविदा

अब बीत रहा साल जो

हर गम में देता रहा साथ वो ,

खुशियां लुटाता रहा हर हाल में

नव वर्ष की किरण मे,रात चाँदनी मे,

तुम मिलने आना बन मेरी परछाई

जाते हुए लम्हों नेह धागों में लेना बांध

रिश्ते , कोरोना काल मे बनाये थे हमने

समेट कर रखना हसीं ख़्वाब को

मेरी हर नादान गलतियों को

बन कर रहना तुम मेरी परछाई

बुरा सपना छोड देना अंधेरे मे,

हर पल को जीना उजाले मे,

गुजरते हुए साल तुम रहना

बन कर मेरी परछाई ।

 

 

©डॉ. निरुपमा वर्मा, एटा उ.प्र.

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