लेखक की कलम से

…..यहां सबको मिलता है

कविता

खुशियों के संग जीवन में संत्रास यहाँ सबको मिलता है

दरिया चाहे मिल ना सके पर प्यास यहां सबको मिलता है

विडम्बनाओं से जीवन यह भरा हुआ है देखो ना

राम हर कोई नहीं मगर वनवास यहाँ सबको मिलता है

जितने भी मौसम हैं सब आते हैं बारीबारी से

पतझड़ के ही साथ-साथ मधुमास यहाँ सबको मिलता है

मेले में हर एक मुसाफिर  खोज रहा कुछ चारों सिम्त

आम जनों के संग ही कोई ख़ास यहाँ सबको मिलता है

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निहारिका शुक्ला

रिसर्च स्कॉलर, जिला गोण्डा उत्तर प्रदेश

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