लेखक की कलम से

सपने अपनेपन के …

सहसा स्वप्न में आकर मन को झकझोर दिया किसने

डर की ग्रंथि जाग गई हिम्मत को तोड़ दिया किसने

शिक्षा के ऊंचे शिखरों से भय का बादल छंट जाता है

सोये मन की चिंगारी को हवा की डोर दिया किसने!

 

©लता प्रासर, पटना, बिहार                                                              

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