लेखक की कलम से

जीवन में रुकना मत ….

 

मन लाख भटकाये पथ से

अपने लक्ष्य पर अडिग रहे

तिमिर का चारों ओर जोर हो

असफलता मिले यदि

लक्ष्य पर अडिग रहे

जीवन में कभी हौसलों की

उडान भरने से रूकना मत

सफलता के रवि में निराशा लोप

हो जाएगी

लक्ष्य के शिखर तक पहुँचने

से पहले कभी रुकना मत

विचारों का मंथन करो

सुविचारों का करो चिंतन

निराशा के समुद्र को पार करो

कभी हार को ना स्वीकार करो

जीत का ध्वज लहलहाने से पहले

कभी रुकना मत….

 

©आकांक्षा रूपा चचरा, कटक, ओडिसा                         

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