लेखक की कलम से
बेटी और समाज…….
बेटी है तो जीवन है,
घर-आंगन में किलकारी है,
माँ, बहन, पत्नी की आशा है,
बेटी है तो प्रेम है,
करुणा है,
उमंग है,
खिलदंड़ता है,
जीवन की नैया को पार कराने की प्रत्याशा है।
बिन बेटी सब सून ।
©डॉ. साकेत सहाय
बेटी है तो जीवन है,
घर-आंगन में किलकारी है,
माँ, बहन, पत्नी की आशा है,
बेटी है तो प्रेम है,
करुणा है,
उमंग है,
खिलदंड़ता है,
जीवन की नैया को पार कराने की प्रत्याशा है।
बिन बेटी सब सून ।
©डॉ. साकेत सहाय