समय …
सभी माता पिता से
गुज़ारिश है दिल से
जिसे दुनिया में लाये हो
फ़र्ज़ निभाना सम्पूर्णता से
फ़र्ज़ केवल
देना नहीं
रोटी कपड़ा और मकान
उससे बढ़कर भी है कुछ,
क्या ?
बतलाती हूँ ।
‘समय’
समय से बढ़कर कुछ नहीं
महरूम तुम मत रखना
इस बेशक़ीमती तोहफ़े से
दौलत यह दे जाना उन्हें ।
समय वो बेशक़ीमती
ख़ज़ाना है
जो सदा सन्तान के पास
बाद तुम्हारे
भरा रहेगा
और बच्चों को सिखाना
कि
किसी को इतना भी प्यार
मत देना कि
जब बेवफ़ा कोई हो जाए
तब होश ना गँवा देना ।
समय दिया यदि किसी को
तब वही लोग कहते हैं कि
किसने कहा था
बेशक़ीमती समय
देने को
ख़ुद ज़िम्मेदार हो
तुम व तुम्हारी सन्तान
अपने हर पतन के
और सान्तवना देंगे तुम्हें
यह कह कर फुसलाएँगे
विश्वास दिलाएँगे
कि ये सभी
खेल है क़िस्मत के ।
तब तुम
शायद सोचते रह जाओगे
हाथ मलते रह जाओगे
याद आएगी वो बात कि
अब पछताए होत क्या
जब चिड़िया चुग गई खेत
©सावित्री चौधरी, ग्रेटर नोएडा, उत्तर प्रदेश