लेखक की कलम से

सही पर गलत नहीं होती हूं……

 

कुछ पंक्तियां

 

हां मैं गलत पर गलत, लेकिन सही पर सही हूं,

चलती हूं सच के साथ मैं, पर गलत पर ख़ामोश हाे जाती हूं।

रह जाती हूं सपनों को अपनो के साथ सोच कर,

मगर हकीकत बनाने के लिए लड़ जाती हूं।।

हां मैं गलत पर गलत, लेकिन सही पर सही हूं….

 

चंद लम्हों को जीने के लिए छोटी से छोटी खुशियां तलाशती हूं,

नहीं चाहिए करोड़पति घराने मुझे, लेकिन आलीशान रहने का शौक रखती हूं।

रह जाती हूं कई बार अपने में ही सिमटे,

क्योंकि किसी से कुछ न कहती हूं।।

हां मैं गलत पर गलत, लेकिन सही पर सही हूं….

 

लोग आकर सुना कर चले जाते है, सुना मैं भी सकती हूं लेकिन संस्कारों का भी ध्यान रखती हूं।

कहीं कुछ गलत न हाे जाए इस बात का ख्याल भी रखती हूं,

बेशक संस्कारों पर सवाल अा जाए, लेकिन गलत पर मुंह तोड़ जवाब भी देती हूं।।

हां मैं गलत पर गलत, लेकिन सही पर सही हूं….

 

कभी कभी टूट कर बिखर जाती हूं, लेकिन हौसला मिलने पर उड़ान भी भरती हूं।

एक लड़की हूं, लोग क्या कहेंगे?? इस बात से भी सहम जाती हूं,

लेकिन लडको से भी कम नहीं हूं मैं, इस बात पर गर्व महसूस करती हूं।।

हां गलत पर गलत, लेकिन सही पर सही हूं….

 

लड़की हूं तो क्या हुआ, न हारी हूं और न हारूंगी,

इस बात का वादा करती हूं।

देख दंग रह जाएं सभी, उस दिन का इंतज़ार करती हूं।।

हां गलत पर गलत, लेकिन सही पर सही ही बात करती हूं…….

 

    ©सुरभि शर्मा, शिवपुरी, मध्य प्रदेश     

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