लेखक की कलम से
दुनिया …
बेखबर सी दुनिया में ,
खबर ही खबर बहने लगा!
दर्द का रिश्ता बना,
हर बात पर मन भरने लगा!
दिन एक भी ऐसा न जाता,
जख्मों का घर रूह होने लगा!
अनचाही खबरों से ,
यूं ही आंसू बहने लगा!
जाना जुड़ाव बहुतों से है,
मैं खुद को अकेला समझता रहा!
©अल्पना सिंह, शिक्षिका, कोलकाता