लेखक की कलम से

अगर तू न होती…

 

अन्जान डगर,

जीवन का सफर ।

तनहाई में भी ,

महफिल का असर ।

मुश्किल होता गर तू न होती ।।

 

हाथों में हाथ,

अनकहे जज्बात ।

आँखों में चमक,

उम्मीद की झलक ।

नामुमकिन होती गर तू न होती ।।

 

दिल में मचलते ,

ख्वाबों की आस ।

विश्वास की सोंधी सौगात,

गम मे भी हँसी का साथ,

लबों से मुस्कुराहट की बरसात।

मुश्किल होती गर तू न होती ।।

 

एक दिले नादान,

कुछ करने का अरमान ।

नजरों में सम्मान,

जीवन को पहचान  ।

ना मिल पाती गर तू न होती ।।

 

@पूजा शर्मा “सुगन्ध” गाजियाबाद उ०प्र०

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