माँ …
मदर्स डे स्पेशल
माँ की ममता का कोई पर्याय नहीं
माँ निरंतर नि:स्वार्थ सदैव प्यार देती है
फिर भी दरिया दिल में ममता का
सूखता ही नहीं
मरुस्थल में मीठा आबशार है माँ
जीवन बगीयाँ की माली माँ
बच्चों की खुशीयाँ का मजमा है माँ
पल-पल पग-पग धरपत है माँ
सानिध्य का आँचल सर पर बिछाती
ज़िंदगी की धूप में शीतल छाँव है माँ
माँ पृथ्वी है जीवन की धूरी है
माँ बिना सृष्टि की कल्पना अधूरी है
चलना, बोलना, खाना, पीना,
उठना, बैठना सीखाती है माँ
बच्चा हंसे तो हंसती है माँ
एक आह बच्चे की निकले जब
सौ मौत मरती है माँ
माँ पिता भी बन सकती है
माँ गुरु भी है, माँ सखा भी है
माँ सबकुछ तो है
बच्चों के जीवन की राहबर है माँ
तुलना किसी भी प्रेम की
कर लो माँ की ममता से
पलड़ा भारी रहेगा झुककर
करना ना ये खता कभी
क्या कहूँ वो क्या है ?
वो फ़लक है वो ज़मीन है
वो परवाज़ है वो दरिया है
वो मौज है वो रवानी है
वो शब्द है वो कविता है
वो बोल है वो संगीत है
वो बाँसुरी है वो सितार है
वो परवाह है वो प्यार है
वो एहसास है वो ममता है
वो नींव है वो धुरी है
वो रिश्ता है वो परिवार है
वो संज्ञा है वो अर्थ है
वो उर्जा है वो जोश है
वो संसार है वो जननी है
उसका कोई पर्याय नहीं
“एक बच्चे के लिए
इन सारे शब्दों का अर्थ उसकी माँ है”
©भावना जे. ठाकर