लेखक की कलम से

विश्व मानवाधिकार दिवस – आइये जाने चीन की स्थिति …

दुनिया भर में 10 दिसंबर को विश्व मानवाधिकार दिवस के रूप में मनाया जाता है। इस दिवस का मुख्य उद्देश्य लोगों के मानवाधिकारों की रक्षा करना और उन्हें इसके बारे में जागरूक करना है।

भारत के संविधान में मौलिक मानवाधिकार निहित हैं। दुर्भाग्य से, यह स्वतंत्रता हमारे पड़ोसी देश चीन में नहीं है। चीन में तिब्बती बुद्धमत, वीगर मुस्लिम, कुछ ईसाई पंथों और फालुन गोंग साधना पद्धति के अभ्यासियों का कई वर्षों से बर्बर दमन किया जा रहा है।

विश्व मानवाधिकार दिवस के अवसर पर, हम शांतिपूर्ण आध्यात्मिक अभ्यास, फालुन गोंग पर चीनी कम्युनिस्ट पार्टी (सीसीपी) द्वारा किए जा रहे अत्याचारों को उजागर करने के लिए यह लेख लिख रहे हैं और आपको बताना चाहते हैं कि यह जानकारी हमारे लिए प्रासंगिक क्यों है।

फालुन गोंग क्या है?

फालुन गोंग (जिसे फालुन दाफा भी कहा जाता है) बुद्ध और ताओ विचारधारा पर आधारित साधना अभ्यास है जो सत्य-करुणा-सहनशीलता के सिद्धांतों पर आधारित है। फालुन गोंग की शुरुआत 1992 में श्री ली होंगज़ी द्वारा चीन की गयी। आज इसका अभ्यास दुनिया भर में, भारत सहित, 100 से अधिक देशों में किया जा रहा है।

चीन में फालुन गोंग का दमन

इसके स्वास्थ्य लाभ और आध्यात्मिक शिक्षाओं के कारण फालुन गोंग चीन में इतना लोकप्रिय हुआ कि 1999 तक करीब 7 से 10 करोड़ लोग इसका अभ्यास करने लगे। चीनी कम्युनिस्ट पार्टी की मेम्बरशिप उस समय 6 करोड़ ही थी। उस समय के चीनी शासक जियांग जेमिन ने फालुन गोंग की शांतिप्रिय प्रकृति के बावजूद इसे अपनी प्रभुसत्ता के लिए खतरा माना और 20 जुलाई 1999 को इस पर पाबंदी लगा कर कुछ ही महीनों में इसे जड़ से उखाड़ देने की मुहीम चला दी। पिछले 22 वर्षों से फालुन गोंग अभ्यासियों को चीन में यातना, हत्या, ब्रेनवाश, कारावास, बलात्कार, जबरन मज़दूरी, दुष्प्रचार, निंदा, लूटपाट, और आर्थिक अभाव का सामना करना पड रहा है।

चीन में अवैध अंग प्रत्यारोपण अपराधों को उजागर करने के लिए एक डॉक्टर संस्था को सम्मान

भारत के लिए यह महत्वपूर्ण है कि 2019 का प्रतिष्ठित मदर टेरेसा मेमोरियल अवार्ड, “डाफोह” (डॉक्टर्स अगेंस्ट ऑर्गन हार्वेस्टिंग) के संस्थापक डॉ. टॉर्स्टन ट्रे को दिया गया है। यह पुरस्कार “डाफोह” द्वारा चीन में फालुन गोंग अभ्यासियों के जबरन अंग निकाले जाने के जघन्य अपराध के बारे में जागरूकता पैदा करने के लिए प्रदान किया गया जो उनके द्वारा किए जा रहे सराहनीय कार्य का प्रमाण है ।

यह भारत के लिए प्रासंगिक क्यों है?

चीनी कम्युनिस्ट पार्टी की धारणाएं और नीतियां उन सभी चीजों का खंडन करती हैं जिनका भारत जैसी एक प्राचीन संस्कृति और आधुनिक लोकतंत्र प्रतिनिधित्व करता है। भारत के पास चीन को सिखाने के लिये बहुत कुछ है। सीसीपी द्वारा फालुन गोंग का दमन और नरसंहार मानवता के खिलाफ अपराध है। भारत के नागरिकों को भी चीन में हो रहे मानवाधिकार हनन की निंदा करनी चाहिए और फालुन गोंग अभ्यासियों का समर्थन करना चाहिए।

एक भारतीय संस्था द्वारा 2019 का मदर टेरेसा मेमोरियल अवार्ड एक ऐसे संगठन को दिया जाना जो चीन में मानवाधिकार अपराधों के बारे में जागरूकता बढ़ा रहा है, सही दिशा में एक कदम है। यही सोच भारत को विश्वगुरु का दर्जा दिला सकती है।

इस सन्दर्भ में भारत में यह याचिका बहुत प्रचलित हो रही है: www.change.org/supportfalungonghindi

आप भी इस याचिका पर हस्ताक्षर कर चीन में फालुन गोंग अभ्यासियों पर 22 वर्षों से चल रहे दमन को समाप्त करने में सहयोग कर सकते हैं।

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