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उद्धव ठाकरे के लिए क्यों जरूरी है शिवाजी पार्क? 5 दशक से भी ज्यादा पुराना है इतिहास …

मुंबई। दशहरा रैली और शिवसेना का इतिहास महाराष्ट्र में 5 दशक से भी ज्यादा पुराना है। शिवाजी पार्क के जिक्र के बगैर इस इतिहास को जान पाना संभव नहीं है। सालों से शिवाजी पार्क में रैली की दावेदार केवल शिवसेना ही होती रही और साल 2022 में भी शिवसेना ही है, लेकिन जून में पड़ी फूट ने समीकरण बदल दिए हैं। अब उद्धव ठाकरे और मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे के समूह ‘असली शिवसेना’ का दावा कर शिवाजी पार्क की तरफ देख रहे हैं।

नौबत यहां तक आ गई है कि मामला हाईकोर्ट तक जाने की भी संभावनाएं जताई जा रही हैं। फिलहाल, मामला बृह्नमुंबई महानगर पालिका के पास है और लगातार हो रही देरी उद्धव कैंप की चिंता बढ़ा रही है। मामला कुछ समय के लिए शिवाजी पार्क के साथ-साथ बांद्रा कुर्ला कॉम्प्लैक्स यानी BKC भी पहुंचा। लेकिन यहां शिंदे कैंप को अनुमति मिल चुकी है। इसके बाद भी शिंदे के समर्थक चाहते हैं कि रैली शिवाजी पार्क में ही हो।

साल 1966 यानी करीब 54 साल पहले दिवंगत बाल ठाकरे ने शिवसेना का गठन किया था। तब पहली बार दशहरा के मौके पर शिवाजी पार्क में रैली का आयोजन किया गया था। इसके चलते यह सेना के मुख्य आयोजनों में से एक हो गया है। पार्टी कार्यकर्ताओं में भी रैली का इंतजार रहता है, जिसपर बीते दो सालों में कोरोनावायरस महामारी ने गहरा असर डाला।

इन दो सालों में रैली ऑडिटोरियम में आयोजित हुई। साल 2020 में  शिवसैनिकों को वर्चुअली शामिल होना पड़ा और 2021 में 50 फीसदी क्षमता का नियम मानना पड़ा।

22 अगस्त को उद्धव कैंप की तरफ से शिवाजी पार्क में रैली के लिए आवेदन दिया गया। इधर, 30 अगस्त को बागी विधायक सदा सर्वांकर ने भी रैली के लिए बीएमसी का दरवाजा खटखटाया। बीएमसी ने अब तक जवाब नहीं दिया है, लेकिन खबर है कि कानूनी विभाग से इस मामले में सलाह ली जा रही है। हालांकि, उद्धव कैंप ने प्लान बी के तौर पर बीकेसी मैदान के लिए भी आवेदन किया था, लेकिन अब उसे शिंदे कैंप को आवंटित किया गया है।

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