मध्य प्रदेश

देश की रक्षा के लिए नई चुनौतियों को लेकर डीआरडीई परिसर ग्वालियर में होगा मंथन ….

ग्वालियर। भारत को रक्षा चुनौतियों के लिए लगातार तैयार रहना है। रक्षा एवं अनुसंधान के क्षेत्र में आगे आने वाले भविष्य के लिए क्या करना है, किस तरह की तैयारी करना है। इसके लिए देशभर के रक्षा विज्ञानी, सेना,वायुसेना, नेवी, रक्षा क्षेत्र के स्टेकहोल्डर्स, एनडीआरएफ, स्पेशल प्रोटेक्शन ग्रुप सहित देश की प्रमुख सुरक्षा एजेसियों के प्रतिनिधि ग्वालियर में मंथन करेंगे।

यह राष्ट्रीय सम्मेलन 16, 17 व 18 नवंबर तीन दिन तक चलेगा। इसमें कोरोना जैसी चुनौतियां जो अचानक भारत में आईं, इस तरह की चुनौतियों से कैसे निपटा जाएगा, इस पर मंथन होगा। ऐसी स्थिति में कैसे काम करना होगा, क्या-क्या जिम्मेदारियां हो सकती हैं। रक्षा के क्षेत्र में भारत कितना आत्मनिर्भर हो चुका है, और आगे क्या-क्या शेष रह गया है, इन्हीं विषयों पर चर्चा की जाएगी। इस सम्मेलन के माध्यम से रक्षा क्षेत्र में देश और मजबूत होने के साथ ही नई उंचाइयां हासिल करेगा।

उल्लेखनीय है कि देश की ग्वालियर स्थित डीआरडीई लैब केमिकल एजेंटों के विरुद्ध रक्षा तकनीक-उत्पाद तैयार करने के लिए इकलौती लैब है। देश में आए कोरोना वायरस जैसी चुनौती के बाद इससे लड़ने के लिए अलग-अलग तरह के उपाय तैयार किए। इसमें डीआरडीओ की डीआरडीई लैब का भी प्रमुख योगदान रहा। इसके अलावा आगे आने वाले समय में केमिकल हमलों को लेकर सबसे ज्यादा आशंका है, यही कारण है कि इससे सुरक्षा बलों को सुरक्षित रखने व रक्षा करने के लिए रक्षा वैज्ञानिकों ने अनुसंधान किए हैं। देश ही नहीं, दुनियाभर में डीआरडीई के शोध व उत्पाद सराहे गए हैं।

तानसेन रोड स्थित डीआरडीओ के परिसर में इस राष्ट्रीय संगोष्ठी का आयोजन किया जाएगा। इसमें डीआरडीओ और डीआरडीई लैब के पदाधिकारी व वरिष्ठ वैज्ञानिक भी शामिल होंगें। इस आयोजन को लेकर तैयारियां की जा रही हैं। रक्षा के क्षेत्र में आत्मनिर्भर भारत की दिशा में भारत ने क्या हासिल किया है और अब किन क्षेत्रों में काम शेष रह गया है, इस पर सभी अपने अनुभवों के आधार पर नवाचारों को भी साझा करेंगे। इसके अलावा रक्षा अनुसंधान व शोध में श्रेष्ठ कार्यों को लेकर चर्चा की जाएगी।

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