नई दिल्ली

सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर हरकत में आए राज्य, अनाथ हुए बच्चों को कहीं पेंशन तो कहीं मुआवजे की घोषणा …

नई दिल्ली। कोरोना संक्रमण की दूसरी लहर ने भारत के लिए कठिन परिस्थिति उत्पन्न कर दी। रोज लाखों मामले सामने तो आए ही, अब तक तीन लाख से अधिक लोगों की जान भी जा चुकी है। कोरोना से प्रभावितों में वे बच्चे भी शामिल हैं, जिन्होंने अपने माता-पिता को खो दिया। सबसे पहले मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने इनकी चिंता की और पांच हजार रुपए पेंशन देने की घोषणा की।

कोरोना काल में अनाथ हुए बच्चों को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने भी राज्यों को निर्देश जारी किया। सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को कहा कि कोरोना में अनाथ हुए बच्चों की जरूरतों की देखभाल राज्य सरकारें करें। कोर्ट ने राज्यों को निर्देश दिया कि वह ऐसे बच्चों की शिनाख्त करे, जिन्होंने देशव्यापी लॉकडाउन लगने के बाद या तो अपने माता-पिता या फिर कमाने वाले परिजन को खो दिया है।

सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद तमिलनाडु के मुख्यमंत्री ने ऐसे बच्चों को पांच लाख रुपए की सहायता राशि देने की घोषणा की है। इसके अलावा महाराष्ट्र के सीएम उद्धव ठाकरे ने महिला एवं बाल विकास विभाग के साथ बैठक में उन बच्चों के लिए एक नीति तैयार करने के लिए कहा, जिन्होंने कोरोना के कारण माता-पिता को खो दिया है। ठाकरे ने ऐसे बच्चों की परवरिश और शिक्षा के प्रावधान की चिंता करने की बात कही है।

बिहार सरकार ने उन सभी बच्चों की सहायता करने के लिए आगे आई है, जो कोरोना के कारण अनाथ हो गए हैं। अनाथ हुए सभी बच्चों को सरकार 18 साल के होने तक हर महीने एक हजार रुपये सहायता के तौर पर देगी। यह राशि समाज कल्याण विभाग की तरफ से बच्चों को दी जाएगी। बच्चों को मदद पंहुचाने के लिए समाज कल्याण विभाग ने सभी जिलाधिकारियो को आवेदन लेने का निर्देश जारी किया है।

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