देश

मोराबी ब्रिज पर 132 मौतों का मुद्दा, ‘झूलतो पुल’ पर हादसा है किसकी भूल? मोरबी घटना पर 5 बड़े सवाल …

अहमदाबाद। रविवार रात हुई इस घटना के बाद अब तक मृतकों, घायलों और गायब हुए लोगों की असल घटना की जानकारी नहीं लग सकी है। सोमवार को राज्य के गृहमंत्री हर्ष संघवी ने 132 लोगों की मौत की जानकारी दी थी। वहीं, खबरें आ रही हैं कि 177 लोगों को बचाया गया और 47 मृतकों की पहचान हो चुकी है। हालांकि, अभी बचाव कार्य खत्म नहीं हुआ है। संघवी ने बताया था कि नेवी,NDRF, वायुसेना और सेना तेजी से पहुंच गई, पूरी रात (खोज और बचाव कार्यों के लिए) 200 से अधिक लोगों ने काम किया है।

गुजरात के मोरबी में हुए पुल हादसे में 132 लोग जान गंवा चुके हैं। सरकार से लेकर सेना तक सभी अलर्ट मोड पर हैं। घटनास्थल पर बचाव कार्य जारी है। साथ ही जांच के भी आदेश दिए गए हैं। इसके बाद भी ‘हादसे का जिम्मेदार कौन?’ जैसे कई सवालों के जवाब अब तक नहीं मिल सके हैं। स्थिति को विस्तार से समझते हैं।

अधिकारी इस बात से इनकार कर रहे हैं कि पुल का फिटनेस सर्टिफिकेट जारी ही नहीं किया गया था। मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, मोरबी नगरपालिका के मुख्य अधिकारी संदीपसिंह जाला ने कहा, ‘पुल मोरबी नगरपालिका की संपत्ति है, लेकिन हमने 15 सालों तक रखरखाव और संचालन के लिए इसे कुछ महीनों पहले ओरेवा ग्रुप को सौंपा था। हालांकि, निजी कंपनी ने हमें जानकारी दिए पुल आने वालों के लिए खोल दिया था। इसके चलते हम पुल का सेफ्टी ऑडिट नहीं करा सके।’

उन्होंने बताया, ‘रिनोवेशन के काम के बाद इसे जनता के लिए खोल दिया गया था लेकिन स्थानीय नगरपालिका ने अब तक कोई फिटनेस सर्टिफिकेट जारी नहीं किया था।’ अब सवाल उठता है कि आखिर बगैर सर्टिफिकेट पुल को आम जनता के लिए कैसे खोल दिया गया।

मार्च 2022 में मोरबी की ओरेवा ग्रुप (अजंता मेन्युफेक्चरिंग प्राइवेट लिमिटेड) को पुल के रखरखाव का कॉन्ट्रैक्ट दिया गया था। फिलहाल, कंपनी के खिलाफ FIR दर्ज कर ली गई है। हालांकि, इसके बाद भी टिकट बिक्री, नगरपालिका की भूमिका समेत कई सवाल बने हुए हैं। अब तक यह साफ नहीं हो सका है कि जिम्मेदारी किसकी है।

खबर है कि पुल को करीब 7 महीने पहले रिनोवेशन के लिए बंद कर दिया गया था। अब सवाल है कि रिनोवेशन के बाद भी यह हादसा कैसे हो गया। राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत भी घटना पर सवाल उठा चुके हैं। गहलोत ने रविवार रात सिरोही में मीडिया से बातचीत में कहा कि यह घटना बहुत दुखद एवं बहुत बड़ी है। उन्होंने कहा कि सरकार को निष्पक्ष जांच कर पता करना चाहिए कि कुछ दिन पूर्व ही रिनोवेशन के बाद खुला पुल किन परिस्थितियों में और कैसे गिर गया। उन्होंने कहा कि घटना की जांच हो ताकि दोषियों को सजा हो।

मीडिया रिपोर्ट्स में बताया जा रहा है कि पुल की सैर करने वाले लोग टिकट लेकर गए थे। इससे साफ है कि पुल की क्षमता और लोगों की गिनती के बारे में टिकट बेचने वाले को जानकारी थी। कुछ रिपोर्ट्स के अनुसार, पर्यटकों से तय से ज्यादा राशि भी वसूली जा रही थी। हादसे में घायल हुए धीरज बाबूभाई सोलंकी अपने दो भतीजों को गंवा चुके हैं। उन्होंने जानकारी दी कि वह पुल के बीच में थे और पुल अचानक बैठ गया। सोलंकी ने बताया कि पुल भरा हुआ था। टिकट को लेकर जानकारी दी कि उन्होंने खुद के लिए  70 रुपये और बच्चों के लिए 12 रुपये का टिकट खरीदा था। वह बचावकार्य करने वालों का लगातार धन्यवाद कर रहे हैं।

Back to top button