धर्म

खग्रास सूर्य ग्रहण का सूतक आज रात 10 बजे से, कल 21 जून को भारत में दिखेगा ग्रहण, जानिए ग्रहण के नफा-नुकसान को

रायपुर। वर्ष 2020 का पहला सूर्य ग्रहण कल रविवार 21 जून को सुबह 10 बजे से शुरू होगा और दोपहर बाद 3 बजे तक रहेगा। इस ग्रहण का मध्य 12:10 के आसपास रहेगा।21 जून यानी कल रविवार को पड़ने वाले ग्रहण का सूतक काल आज रात 10 PM से शुरू हो जाएगा। हिन्दू-सनातन धर्म में आस्था रखने वाले लोग सूतक काल मानते हैं। इस दौरान पूजा घर और मंदिरों के पट बंद रहेंगे।

6 घंटे लंबा होगा ग्रहणकाल

21 जून को सुबह 10 बजे ग्रहण शुरू हो जाएगा और 12:10 बजे दोपहर में पूर्ण ग्रहण दिखेगा। इस दौरान कुछ देर के लिए हल्क अंधेरा सा छा जाएगा, इसके बाद 3 बजे ग्रहण समाप्त होगा। यानी यह ग्रहण करीब 6 घंटे लंबा होगा।

धर्म का मर्म

इस बार एक साथ छह ग्रह वक्री रहेंगे, बुध, बृहस्पति, शुक्र, शनि, राहु, केतु यह छह ग्रह 21 जून 2020 को वक्री रहेंगे, इन छह ग्रह का वक्री होना यानी एक बहुत बड़ा तहलका मचाने वाला है।

कंकणाकृति सूर्य ग्रहण भारत में दृश्य होगा

यह 10:00 बजे से दोपहर 2:30 की मध्य में अलग-अलग समय पर भारतवर्ष में ग्रहण दृश्य होगा, राजस्थान में इस ग्रहण का सूतक 20 जून 2020 को रात्रि 10:11 :से प्रारंभ हो जाएगा, 12 घंटे पूर्व कुछ भी खाने व पीने की मनाई होगी, 21 जून 2020 को भारत में प्रातः 10:11 से लेकर अपरान्ह 1:40 तक दिखाई देगा 3:30 घंटे का ग्रहण समय अवधि रहेगी।

सूर्य ग्रहण और उसका शुभा-शुभ से लेकर नकारात्मक प्रभाव

  • सूर्य ग्रहण- दिनांक 21 जून 2020 रविवार, आषाढ़ कृष्ण 30, मृगशिरा नक्षत्र, मिथुन राशि पर यह ग्रहण होगा। मृगशिरा के चतुर्थ चरण से आरम्भ हो आद्रा नक्षत्र जो कि राहु का नक्षत्र है समाप्त होगा। रविवार सूर्य का दिन।
  • मृगशिरा नक्षत्र के स्वामी मंगल, आद्रा नक्षत्र पर राहु का आधिपत्य और मिथुन राशि पर ग्रहण जिसका स्वामी बुध।
  • इस तरह चार ग्रहों की युति मिथुन राशि पर सूर्य + चन्द्र + राहु + बुध, इन पर मंगल की दृष्टि, मंगल के नक्षत्र मृगशिरा से सूर्यग्रहण आरम्भ होगा।
  • ग्रहण के दिन अशुभ गण्डयोग, पूर्णकाल सर्पयोग, मिथुन राशि से अष्टम में नीच राशिगत गुरू, वक्री शनि, इस तरह षडाष्टक अशुभयोग भी बन रहा।
  • भारत की कुण्डली में कालपुरूष का मुख स्थान यही है जहां मिथुन राशि पर ग्रहण होगा, विषाणु व विस्तार का कारक राहु यहीं पर संस्थित है, कृपया सतर्क सचेत रहिये।

सूर्यग्रहण का आपकी राशि पर असर

  • मेष– राशि से तीसरे स्थान पर ग्रहण होगा, सामान्य फल देने वाला रहेगा। मेहनत के अनुसार सफलता मिल जाएगी।
  • वृषभ– राशि से दूसरे स्थान पर ग्रहण हो रहा है। आपको सतर्क रहना होगा।
  • मिथुन– इस राशि में ही ग्रहण हो रहा है। धैर्य और संयम बनाए रखना होगा। संभलकर काम करें। वरना हानि हो सकती है।
  • कर्क– द्वादश राशि में ग्रहण होगा। आपको खुद पर काबू रखना होगा। खर्च की अधिकता रहेगी।
  • सिंह– एकादश स्थान पर ग्रहण हो रहा है। अभी किसी को उधार देने से बचें। आय में बढ़ोतरी के योग बन सकते हैं।
  • कन्या– दशम स्थान पर ग्रहण होने से कार्य की अधिकता रहेगी। पिता की मदद से लाभ मिल सकता है।
  • तुला– नवम भाव में ग्रहण होगा। भाग्य में रुकावट उत्पन्न करेगा। कार्य में देरी हो सकती है।
  • वृश्चिक– अष्टम स्थान पर ग्रहण होने से सावधान रहने का समय है। वाहन, ऊंचाई और बिजली से सचेत रहना होगा।
  • धनु– सप्तम भाव में ग्रहण होने वाला है। साथियों से तनाव हो सकता है। सोच-समझकर काम करें, अन्यथा हानि के योग हैं।
  • मकर– षष्ठम स्थान पर ग्रहण हो रहा है। रोजगार में नुकसान हो सकता है। शत्रुओं की वृद्धि होगी।
  • कुंभ– आपके लिए पंचम स्थान पर ग्रहण होगा। संतान से सुख और सहयोग मिलेगा। धन लाभ मिल सकता है।
  • मीन– चतुर्थ स्थान पर ग्रहण होने से चिंता में वृद्धि होगी। कार्य की अधिकता रहेगी। लापरवाही से बचना होगा।
  1. यह एक दुर्लभ खगोलीय घटना का निर्माण कर रहा है, यह ग्रहण ऐसे दिन होने जा रहा है जब उसकी किरणें कर्क रेखा पर सीधी पडेंगी, इस दिन उत्तरी गोलार्ध में सबसे बड़ा दिन और सबसे छोटी रात होती है।
  2. यह सचमुच रोचक बात है कि पृथ्‍वी का चंद्रमा आकार में सूर्य में बहुत छोटा है, सूर्य इससे 400 गुना बड़ा है, जब ग्रहण घटित होता है तो दोनेां का आकार हमें पृथ्‍वी से देखने पर समान मालूम पड़ता है।
  3. तभी तो सूर्य पूरा ढंक जाता है, हालांकि दोनों का जो आभासीय आकार है, वह मात्र आधी डिग्री का ही है। सच्‍चाई यह है कि सूर्य चांद से 400 गुना बड़ा है, इसके बाद भी चांद सूर्य की किरणों को पृथ्‍वी पर आने से रोक देता है।
  4. कंकणाकृति ग्रहण होने का यह है मतलब, कंकणा कृति के ग्रहण के समय सूर्य किसी कंगन की भांति नज़र आता है। इसलिए इसे कंकणाकृति ग्रहण कहा जाता है, पिछली बार वर्ष 1995 के पूर्ण ग्रहण के समय ऐसा ही हुआ था।
  5. इस बार यह ग्रहण मिथुन राशि में लग रहा है, ग्रहण 6 ग्रह होंगे वक्रीय, आगामी 21 जून 2020 रविवार को लगने वाला सूर्य ग्रहण मिथुन राशि मृगशिरा नक्षत्र में लगेगा।

1962 में भी हुए थे ऐसे 3 ग्रहण

2020 से पहले शनि के मकर राशि में वक्री रहते हुए ऐसे तीन ग्रहण 1962 में हुए थे। 58 साल पहले 17 जुलाई को चंद्र ग्रहण, 31 जुलाई को सूर्य ग्रहण और 15-16 अगस्त की मध्य रात्रि में चंद्र ग्रहण हुआ था। इस साल में भी चंद्र ग्रहण की धार्मिक मान्यता नहीं थी। 1962 में भारत-चीन के बीच युद्ध हुआ था। कुछ दिनों बाद 1 सितंबर 1962 को ईरान में भारी भूकंप आया था, 2020 में भी ऐसे ही ग्रहण हो रहे हैं। पिछले कई दिनों से देश के अलग-अलग हिस्सों में लगातार भूकंप के झटके आ रहे हैं और आगे भी इसका खतरा बना रहेगा। ये ग्रहण भारत के अलावा एशिया, अफ्रीका और यूरोप के कुछ क्षेत्रों में भी दिखेगा। सभी जगह ग्रहण का समय अलग-अलग रहेगा।

Back to top button