कोरबाछत्तीसगढ़

नगर निगम कोरबा में नहीं रखा जा रहा मुख्यमंत्री के निर्णय का मान

कोरबा (गेंदलाल शुक्ल) । पूरे प्रदेश व कोरबा जिले के लिए इससे बड़ा दुर्भाग्य क्या होगा कि प्रदेश के मुखिया के निर्णय का मान उनकी ही पार्टी की निगम सरकार नहीं रख रही है। मुख्यमंत्री द्वारा बीते दिनों भ्रष्टाचार के आरोप में निगम के मुख्य लेखाधिकारी पीआर मिश्रा के विरुद्ध जाँच के आदेश दिए गए हैं जिस पर निगम द्वारा आज दिनाँक तक कोई जवाब नही दिया गया है। वहीं दूसरी ओर उक्त अधिकारी के 30 जून को सेवानिवृत्त हो जाने के बाद भी तथा एक अन्य प्रकरण में पुनः भ्रष्टाचार का आरोप लगाते हुए महापौर व सभापति को लिखित शिकायत के पश्चात भी उन्हें निगम की एम आई सी की बैठक में बुलाया गया।

निगम में चर्चा इस बात की है कि उक्त अधिकारी के सेवानिवृत्त होने व लेखाधिकारी का प्रभार अन्य अधिकारी को मिलने के बाद उन्हें किस अधिकार से एम आई सी की बैठक में बुलाया गया। क्या उक्त अधिकारी पर लंबित जाँच के विषय मे जानकारी नही थी या प्रदेश के मुखिया के द्वारा आदेशित जाँच के प्रति सम्मान नही है। क्या एक भ्रष्टाचार का आरोपी अधिकारी, प्रदेश के मुख्यमंत्री से बड़ा और अधिक सम्माननीय है जो उसे वर्तमान में किसी भी पद पर न होने पर भी एम आई सी की बैठक में स्थान दिया गया। निगम में चर्चा इस बात की भी है कि जाँच लंबित रहते हुए भी निगम की काँग्रेस सरकार आरोपी अधिकारी की संविदा नियुक्ति हेतु प्रस्ताव पारित करने जा रही है। एक भ्रष्टाचार का आरोपी अधिकारी निगम के सत्ताधारकों को ऐसा क्या लाभ पहुँचा सकता है जिसके लिए निगम सरकार मुख्यमंत्री के आदेश को भी दर किनार करने को तैयार है।

       उल्लेखनीय है कि भ्रष्टाचार के आरोपी अधिकारी पी आर मिश्रा शुरू से ही विवादों से घिरे रहे है। एक ओर जहां उनकी नियुक्ति को लेकर सवाल उठते रहे है तो दूसरी ओर 30 वर्षों के कार्यकाल में अनेको बार उन पर निगम के दैनिक वेतनभोगी कर्मचारियों के शोषण व उत्पीड़न के आरोप भी लगते रहे है। नियमितीकरण से लेकर पदोन्नति तक मे मिश्रा द्वारा अपने चहेतों व अयोग्य लोगो को लाभ पहुंचाया गया है तथा योग्य व मेहनती कर्मचारियों को सदैव ही दरकिनार किया जाता रहा है। इतना ही नही वर्ष 2008 में छत्तीसगढ़ शासन द्वारा 108 में 81 अधिकारी-कर्मचारियों की पदोन्नति निरस्त करते हुए निगम कर्मचारियों की पदोन्नती में भ्रष्टाचार व फर्जीबाड़ा करने के आरोप में पी आर मिश्रा को निलंबित भी किया जा चुका है। भ्रष्टाचार के इतने संगीन आरोप होने के बाद भी यदि पी आर मिश्रा की संविदा नियुक्ति की जाती है तो निगम की वर्तमान सरकार व काँग्रेस पार्टी खुद को पाक साफ व जनता तथा गरीबों की हितैषी कैसे कहेगी।

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