दस नए आक्सीजन प्लांट लोकार्पित, ऑक्सीजन व्यवस्था में आत्मनिर्भर बनेगा मध्यप्रदेश…
भोपाल। प्रदेश में 10 नए ऑक्सीजन प्लांट शनिवार को लोक अर्पित किए गए। अलग-अलग जिलों में यह प्लांट 6 करोड़ 48 लाख की लागत से बने हैं। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने शनिवार को प्रदेश के 10 अस्पतालों के कुल 5500 एलपीएम (लीटर प्रति मिनिट) क्षमता के ऑक्सीजन संयंत्रों का वर्चुअली लोकार्पण किया। ये प्लांट्स सीहोर जिले में आष्टा और रेहटी, विदिशा जिले में विदिशा और सिरोंज, खरगोन जिले में खरगोन और बड़वाह, सागर जिले में खुरई के अलावा कटनी, टीकमगढ़ और नरसिंहपुर में स्थापित किए गए हैं। प्रदेश में मार्च 2020 की स्थिति में किसी भी सरकारी अस्पताल में ऑक्सीजन जनरेशन प्लांट नहीं था। प्रदेश में 190 संयंत्र लगने हैं। इस समय प्रदेश में 68 प्लांट्स स्थापित और 65 प्लांट्स क्रियाशील किए जा चुके हैं। सितम्बर माह तक शेष सभी प्लांट्स क्रियाशील हो जायेंगे।
मुख्यमंत्री श्री चौहान ने कहा है कि प्रदेश में ऑक्सीजन के क्षेत्र में आत्मनिर्भरता प्राप्त करने के प्रयास जीवन की सौगात की तरह हैं। कोविड के दौर में हम ऑक्सिजन का महत्व समझ चुके हैं। दूसरी लहर में आक्सीजन का मतलब था जिंदगी और ऑक्सीजन मिलने में देर होने का मतलब था जीवनलीला की समाप्ति। हमारे प्रधानमंत्री श्री मोदी वर्तमान के साथ भविष्य का आकलन भी करते हैं। उनके प्रयासों से मध्यप्रदेश सहित अन्य राज्यों को समय पर ऑक्सीजन मिली,जिसके फलस्वरूप अनमोल जिंदगियों को बचाया जा सका। ऑक्सीजन में मध्यप्रदेश को आत्म निर्भर बनाने का कार्य जारी है। टेंकरों की व्यवस्था करना बहुत बड़ी समस्या थी। प्रधानमंत्री के आशीर्वाद से यह संभव हो सका। मुख्यमंत्री श्री चौहान ने कहा कि कोविड के संक्रमण की तीसरी लहर नहीं आए,उसके लिए हम सब कटिबद्ध हैं। यदि यह लहर आ भी जाए तो उसके लिए हम तैयार हैं। वह समय कभी भूल नहीं सकेंगे। न हम सोयें न आप सोयें। आक्सीजन की तत्काल व्यवस्था की गई। मध्यप्रदेश में ऑक्सीजन की व्यवस्था देश के अन्य प्रदेशों उड़ीसा, छत्तीसगढ़, गुजरात और उत्तर प्रदेश से आक्सीजन बुलवाकर की गई। इसमें सांसदों, विधायकों और जनप्रतिनिधियों तथा सभी ने पूर्ण सहयोग दिया। प्रदेश में पीएम केयर फंड से 88, मुख्यमंत्री राहत कोष से 13, कार्पोरेट सोशल रिस्पांसबिलीटि और स्थानीय प्रयासों से 89 संयंत्र स्थापित किये जा रहे हैं। इन सभी संयंत्रों से कुल 221 मिट्रिक टन मेडिकल ऑक्सीजन गैस का उत्पादन किया जा सकेगा और उत्पादित गैस चिकित्सालयों में स्थापित ऑक्सीजन जनरेशन प्लांट्स से सीधे मरीजों तक उपलब्ध कराई जा सकेगी।
मुख्यमंत्री ने कहा कि यह भी तय कर लिया है कि अक्टूबर माह तक सभी जिलों में सीटी स्केन की व्यवस्था उपलब्ध होगी। प्रदेश के 30 जिलों में 32 स्लाइस की सीटी स्केन मशीन लगाने के लिए कार्य पूर्णत: की ओर है। इसके साथ ही स्वास्थ विभाग के अंतर्गत शासकीय स्वास्थ्य संस्थाओं में 784 आई.सी,यू बेड्स क्रियाशील किये गये। सितम्बर महीने तक 650 अतिरिक्त आईसीयू बैड क्रियाशील होंगे। इन संस्थाओं में 11 हजार 156 ऑक्सीजन बेड्स कियाशील किये गये। अगले सितम्बर तक इनकी कुल संख्या 14 हजार 255 हो जायेगी। कोविड-19 परिदृश्य में सरकारी मेडिकल कॉलेज में 2993 आई.सी.यू बेड्स थे। इनकी संख्या सितम्बर तक अतिरिक्त 445 बेड्स मिलाकर 3438 हो जायेगी। कोविड-19 की तीसरी लहर में शिशुओं के संक्रमित होने की आशंका को ध्यान में रखते हुए उपलब्ध 200 पीडिऐट्रिक आईसीयू बेड्स के अतिरिक्त 350 नए पीडिऐट्रिक आईसीयू बेड्स का प्रबंध हो रहा है। इसी तरह स्वास्थ्य विभाग की संस्थाओं में भी बच्चों के उपचार के लिए 320 नए पीडिऐट्रिक आईसीयू बेड्स और 992 नए पीडिऐट्रिक ऑक्सीजन बेड्स की व्यवस्था की जा रही है। श्री चौहान ने कहा कि चिकित्सक, नर्सिंग और पैरामेडिकल स्टाफ के पदों की पूर्ति की प्रक्रिया भी लगभग पूरी हो गई है। रेडियो ग्राफर,लैब टेक्निशियन और ऑप्थाल्मिक टेक्निशियन के 429 पदों पर भर्ती की प्रक्रिया पूरी हो गई है।