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अंतरराष्ट्रीय पत्रकारिता के क्षितिज पर भारत को गौरवान्वित करने वाले वरिष्ठ पत्रकार, श्रेष्ठ विचारक वेद प्रताप वैदिक नहीं रहे

इंदौर। अंतरराष्ट्रीय पत्रकारिता के क्षितिज पर भारत को गौरवान्वित करने वाले वरिष्ठ पत्रकार, श्रेष्ठ विचारक, मध्यप्रदेश के इंदौर शहर के क्रिश्चियन कॉलेज के सीनियर डॉ. वेदप्रताप वैदिक जी अब इस दुनिया में नहीं रहे। मौजूदा दौर में वे भारतीय पत्रकारिता की जंग लग चुकी वीणा को झंकृत करने वाले रविशंकर माने जाने वाले करीब 78 वर्षीय वैदिक जी नहाने के समय बाथरूम में गिर गए थे। जिसके बाद गंभीर हालत में तत्काल उन्हें नजदीकी अस्पताल ले जाया गया, जहां डॉक्टरों ने उन्हें मृत घोषित कर दिया।

वेद प्रताप वैदिक का जन्म 1944 में इंदौर में हुआ था। उन्होंने 1958 से ही पत्रकारिता शुरू कर दी थी। वे देश के बड़े पत्रकार और राजनीतिक विश्लेषक थे। वे नवभारत टाइम्स और प्रेस ट्रस्ट ऑफ इंडिया से भी जुड़े रहे। डाॅ. वेदप्रताप वैदिक की गणना उन राष्ट्रीय अग्रदूतों में होती है, जिन्होंने हिंदी को मौलिक चिंतन की भाषा बनाया और भारतीय भाषाओं को उनका उचित स्थान दिलवाने के लिए सतत संघर्ष और त्याग किया। महर्षि दयानंद, महात्मा गांधी और डाॅ. राममनोहर लोहिया की महान परंपरा को आगे बढ़ानेवाले योद्धाओं में वैदिकजी का नाम अग्रणी है।

पत्रकारिता, राजनीतिक चिंतन, अंतरराष्ट्रीय राजनीति, हिंदी के लिए अपूर्व संघर्ष, विश्व यायावरी, प्रभावशाली वक्तृत्व, संगठन-कौशल आदि अनेक क्षेत्रों में एक साथ मूर्धन्यता प्रदर्षित करने वाले अद्वितीय व्यक्त्तिव के धनी डाॅ. वेदप्रताप वैदिक का जन्म 30 दिसंबर 1944 को पौष की पूर्णिमा पर इंदौर में हुआ। वे सदा प्रथम श्रेणी के छात्र रहे। वे रुसी, फारसी, जर्मन और संस्कृत के भी जानकार हैं। उन्होंने अपनी पीएचडी के शोधकार्य के दौरान न्यूयार्क की कोलंबिया यूनिवर्सिटी, मास्को के ‘इंस्तीतूते नरोदोव आजी’, लंदन के ‘स्कूल ऑफ ओरिंयटल एंड एफ्रीकन स्टडीज़’ और अफगानिस्तान के काबुल विश्वविद्यालय में अध्ययन और शोध किया।

वैदिकजी नेे जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय के ‘स्कूल ऑफ इंटरनेशनल स्टडीज’ से अंतरराष्ट्रीय राजनीति में पीएच.डी. की उपाधि प्राप्त की। वे भारत के ऐसे पहले विद्वान हैं, जिन्होंने अपना अंतरराष्ट्रीय राजनीति का शोध-ग्रंथ हिन्दी में लिखा। पिछले 60 वर्षों में हजारों लेख और भाषण! वे लगभग 10 वर्षों तक पीटीआई भाषा (हिन्दी समाचार समिति) के संस्थापक-संपादक और उसके पहले नवभारत टाइम्स के संपादक (विचारक) रहे हैं। फिलहाल दिल्ली के राष्ट्रीय समाचार पत्रों तथा प्रदेशों और विदेशों के लगभग 200 समाचार पत्रों में भारतीय राजनीति और अंतरराष्ट्रीय राजनीति पर डाॅ. वैदिक के लेख हर सप्ताह प्रकाशित होते हैं।

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