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मणिपुर में चला तलाशी अभियान, बरामद हुए भारी मात्रा में युद्ध के सामान; 10 जून तक इंटरनेट बैन…

इंफाल । मणिपुर में हिंसा थमने का नाम नहीं ले रही है। कर्फ्यू के बीच 5 जून की रात एक बार फिर से हिंसा भड़क उठी। इसमें बीएसएफ के एक जवान की मौत हो गई। वहीं, असम राइफल्स के दो सैनिक घायल हो गए हैं। इस बीच भारतीय सेना ने एक बयान जारी किया है।

सेना ने कहा कि पिछले 48 घंटों में आगजनी/हिंसा को रोकने के लिए असम राइफल्स के 5 और बीएसएफ के 2 सैनिकों को क्षेत्र में फिर से तैनात किया गया था। ऑपरेशन सुगनू/सेरो में सुरक्षा बलों द्वारा व्यापक क्षेत्र के वर्चस्व का परिणाम है।

भारतीय सेना ने कहा कि 5 जून की रात विद्रोहियों के साथ मुठभेड़ के बाद सुरक्षा बल मणिपुर के सुगनू-सेरो में तलाशी अभियान चला रहे हैं।

सेना ने कहा कि इनपुट विद्रोहियों के हताहत होने का संकेत देते हैं। इसकी जमीनी जांच की जा रही है। प्रारंभिक तलाशी के दौरान सामान्य क्षेत्र से दो एके सीरीज राइफलें, एक 51 मिमी मोर्टार, दो कार्बाइन, गोला-बारूद और युद्ध के सामान बरामद किए गए है। भारतीय सेना के अनुसार, क्षेत्र को साफ करने के लिए अभियान जारी है।

हिंसा के बीच मणिपुर की सरकार ने इंटरनेट पर प्रतिबंध को 10 जून तक के लिए बढ़ा दिया है। राज्य में तीन मई से इंटरनेट पर प्रतिबंध लगा हुआ है। आयुक्त (गृह) एच ज्ञान प्रकाश द्वारा जारी एक आदेश में कहा गया है कि ब्रॉडबैंड सहित मोबाइल डेटा सेवाओं का निलंबन 10 जून की दोपहर तीन बजे तक जारी रहेगा।

राज्य में एक महीने पहले भड़की जातीय हिंसा में करीब 98 लोगों की जान चली गई थी और 310 अन्य घायल हो गए थे। कुल 37,450 लोग वर्तमान में 272 राहत शिविरों में शरण लिए हुए हैं।

मेइती समुदाय की अनुसूचित जनजाति (एसटी) का दर्जा देने की मांग के विरोध में पहाड़ी जिलों में ‘आदिवासी एकजुटता मार्च’ आयोजित किए जाने के बाद 3 मई को पूर्वोत्तर राज्य में पहली बार झड़पें हुई थी। मेइती मणिपुर की आबादी का लगभग 53 प्रतिशत हैं और ज्यादातर इंफाल घाटी में रहते हैं।

जनजातीय नागा और कुकी जनसंख्या का 40 प्रतिशत हिस्सा हैं और यह पहाड़ी जिलों में निवास करते हैं। राज्य में शांति बहाल करने के लिए करीब 10,000 सेना और असम राइफल्स के जवानों को तैनात किया गया है।

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