धर्म

आदि गुरु शंकराचार्य कम उम्र में हो गए थे वेदों के जानकार, निर्माता आशुतोष गोवारिकर बना रहे हिन्दी फिल्म…

नई दिल्ली । आदि गुरु शंकराचार्य इन दिनों चर्चा में है, क्योंकि फिल्म निर्माता आशुतोष गोवारिकर शंकराचार्य पर फिल्म बना रहे हैं। इस फिल्म में शंकराचार्य की पूरी जीवन गाथा दिखाई जाएगी। शंकराचार्य शिव के अवतार माने जाते हैं। हिंदू धर्म में शंकराचार्य की उपाधि सर्वोच्च मानी जाती है।

शंकराचार्य का जन्म आठवीं सदी में केरल के कालड़ी गांव में हुआ था। स्वंय भगवान शिव शंकराचार्य के रूप में जन्म लिए थे। उनका जन्म वैशाख महीने के शुक्ल पक्ष पंचमी को हुआ था। उनका नाम शंकर रखा गया, जो आदि गुरु शंकराचार्य कहलाए। ‘शंकराचार्य’ यह एक उपाधि है, जो हर युग में एक ऋषि को मिलती है। शंकराचार्य बहुत ही कम उम्र में संन्यासी बन गए थे। शंकराचार्य का निधन सिर्फ 32 साल में हो गया था।

शंकराचार्य को हिंदू धर्म की पुनर्स्थापना करने का श्रेय दिया जाता है। शंकराचार्य ने लोगों को हिंदू के मायने समझाए। लोगों के बीच धर्म को लेकर फैली भ्रांतियां मिटाई। आज से करीब दो हजार वर्ष पूर्व वेदों के पंडितों ने लोगों के बीच हिंदू धर्म को लेकर गलत बातें फैलाई थी। उन्होंने वेद के मंत्रों का गलत अर्थ बताया, जिस वजह से हिंदू धर्म के लोग गलत प्रथा को अपनाने लगे। तभी शंकराचार्य ने धर्म का प्रचार-प्रसार किया। लोगों को धर्म का ज्ञान दिया। शंकराचार्य ने मूर्तिपूजा को सिद्ध करने किया। शंकराचार्य ने हिंदू धर्म की पुनर्स्थापना करने के लिए विरोधी पंथ की बातों को भी सुना।

शंकराचार्य ने हिंदू धर्म के प्रचार-प्रसार करने के लिए देश में चार मठों की स्थापना की। उन्होंने इन चार मठों की स्थापना करने के बाद अपने शष्यों को इन मठों में आसीन किया। आदि गुरु से शास्त्रार्थ में पराजित मंडन मिश्र पहले शंकराचार्य बने थे। शंकराचार्य का पद हिंदू धर्म में सबसे सर्वोच्च पद है।

शंकराचार्य ने देश के सभी चार कोनों में चार मठ स्थापित किए। उन्होंने उत्तर दिशा में बद्रिकाश्रम में ज्योर्तिमठ, पश्‍चिम दिशा में द्वारिका में शारदा मठ, दक्षिण दिशा में श्रंगेरी मठ और पूर्व दिशा में जगन्नाथ पुरी में गोवर्धन मठ की स्थापना की। ये सभी मठ आगे चलकर शंकराचार्य पीठ कहलाए। हालांकि, इन सबसे अलावा भी देश में मानव निर्मित कई मठ हैं, जिसकी स्थापनी स्वंय शंकराचार्य ने नहीं की थी।

आदि गुरु शंकराचार्य ने जिन चार मठों की स्थापना की थी और उन सभी मठों में अपने शिष्यों को आसीन किया था। वे सभी शिष्य शंकराचार्य कहलाए। सबसे पहले शंकराचार्य मंडन मिश्र बने थे, जो शंकराचार्य से शास्त्रार्थ में हार गए थे। मठों में शंकराचार्य की परंपरा अभी तक चली आ रही है। ये हिंदू धर्म में सबसे सर्वोच्च पद माना जाता है।

शंकराचार्य के वेदांत को अद्वैत वेदांत कहा जाता है। उनका मानना है कि इस वास्तविकता और अनुभवी दुनिया की सभी चीज की जड़े ब्रह्मा से जुड़ी है। उनका कहना है कि ये अपरिवर्तनीय चेतना है। शंकराचार्य का मानना है कि इस ब्रह्माण्ड में ब्रह्म ही सत्य है। शंकराचार्य ने दुनिया को माया का रहस्य समझाया था।

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