छत्तीसगढ़बिलासपुर

बेजा खर्च कर रहा रेलवे, अफसरों के बंगलों के बाहर लगाए कारपेट घास, इधर आम लोगों के हिस्से धूल-गड्ढे ….

बिलासपुर । रेलवे के अफसरों को फिजूलखर्ची में महारथ हासिल है। जहां आवश्यकता नहीं वहां लाखों रुपए फूंक रहे हैं। जहां सुविधाएं चाहिए उनकी तरफ देखते भी नहीं है। बंद कमरे में एयरकंडीशन में बैठकर नौकरी करने वाले अफसरों को मैदान में जाकर काम करने वाले अपने कर्मचारियों की जरा भी फिक्र नहीं है।

रेलवे प्रशासन ने ट्रेनों में सफाई की सुविधा बंद कर दी। प्लेटफार्म पर रूकने वाली ट्रेनों की क्लीनिंग भी बंद है। समूचे रेलवे कालोनी की सड़कें जर्जर हो चुकी है। न मेंटेनेंस कराया जा रहा है न ही डामरीकरण। सड़क पर गड्ढों से हर वर्ग का कर्मचारी परेशान हैं।

उनकी परेशानी अफसर सुनते नहीं हैं। दूसरी तरफ अफसरों के घरों में धूल न आए इसलिए उनके बंगलों के सामने की सड़क के किनारे कारपेट ग्रास लगवाए जा रहे हैं। लाखों रुपए इसमें खर्च किए जा रहे हैं।

रेलवे कालोनी की तमाम सड़कें जर्जर हो चुकी है। तारबाहर पानी टंकी से उर्दू स्कूल फुटबाल मैदान को जाने वाली सड़क इतनी जर्जर है कि वहां चलना मुश्किल है। इस सड़क की कुछ खाली जमीन को रेलवे के इंजीनियरिंग और इलेक्ट्रिकल विभाग ने अपना गोदाम बना रखा है।

वहां पर लोहे के बड़े-बड़े गर्डर और केबल के रोल रखे हुए हैं। इसलिए इस सड़क पर ट्रकों का आना जाना लगा रहता है इससे इस सड़क पर बड़े-बड़े गड्ढे हो गए हैं। उर्दू स्कूल से बड़े गिरजाघर तक वायरलेस कालोनी के सामने वाली सड़क भी अत्यंत ही जर्जर है वहां पूरे दिन धूल उड़ती रहती है।

पिछले सप्ताह गड्ढों को भरने के लिए वहां पर क्रशर डस्ट डलवाया गया है जो कि कालोनी में रहने वाले रेल कर्मचारियों के लिए और मुसीबत बन गया है। वहां पूरे दिन धूल उड़ती है और सभी के घरों में जा रही है।

भारत माता स्कूल के सामने मुख्य सड़क भी जर्जर है। कंस्ट्रक्शन कालोनी और बंगला यार्ड की सड़कों का भी यही हाल है। वैसे तो रेलवे अफसरों के कालोनी की सड़क को छोड़ किसी भी दूसरी कालोनी की सड़क सही नहीं है।

भारत माता स्कूल के बगल वाली सड़क डीआरएम, जीएम बंगला होते हुए आफिसर्स कॉलोनी तक जाती है। रोड के दोनों तरफ क्लास वन और क्लास टू अफसरों के बंगले हैं। इस सड़क के दोनों ओर लगभग तीन मीटर हिस्से में मुरूम और मिट्टी की पटरी जिसे इंजीनियरिंग की भाषा में हार्ड शोल्डर कहा जाता है, बनी हुई थी।

अब इस हार्ड शोल्डर वाले हिस्से रेलवे प्रशासन कारपेट ग्रास लगवा रहा है ताकि शोल्डर वाले हिस्से से उड़ने वाली धूल से अफसरों के बंगलों को बचाया जा सके। इन अफसरों को कर्मचारियों की कालोनियों की जर्जर सड़क से उड़ती धूल नजर नहीं आ रही है। जर्जर सड़कों की मरम्मत या नए सिरे से डामरीकरण के लिए फिलहाल कोई योजना नहीं है।

सड़क के किनारे जो कारपेट ग्रास लगाए जा रहे हैं उन्हें खरीदा नहीं गया है। रेलवे के उद्यानिकी विभाग ने इसे जगह-जगह पर तैयार किया है वहीं से उखाड़कर लगवा रहे हैं। जहां तक कालोनियों की जर्जर सड़कों की मरम्मत का सवाल है तो इसके लिए प्लान तैयार हो रहा है। कहीं कोई फिजूलखर्ची नहीं हो रही है।

-विकास कश्यप, सीनियर डीसीएम बिलासपुर मंडल

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