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रोहिंग्या मुसलमानों से अब बांग्लादेश परेशान होता नजर आ रहा

न्यूयॉर्क

रोहिंग्या मुसलमानों से अब बांग्लादेश परेशान होता नजर आ रहा है। इसके संकेत हाल ही में संयुक्त राष्ट्र महासभा के इतर हुई बैठक से मिले हैं, जहां अंतरिम सरकार के प्रमुख मोहम्मद यूनुस ने रोहिंग्याओं को वापस भेजने की पेशकश तक कर दी। उनका दावा है कि बांग्लादेश का खुद का विकास दांव पर लग गया है। बांग्लादेश में रोहिंग्या मुसलमानों की संख्या 12 लाख से ज्यादा है।

न्यूयॉर्क में एक उच्च स्तरीय बैठक के दौरान यूनुस ने रोहिंग्याओं की वजह से सामने आ रहीं चुनौतियों पर बात की। उन्होंने कहा, 'सहानुभूति के साथ रोहिंग्याओं की मेजबानी के बावजूद घनी आबादी वाला बांग्लादेश सामाजिक, आर्थिक और पर्यावरण के लिहाज से बहुत खर्च कर रहा है…।' उन्होंने कहा, 'साफ है कि बांग्लादेश अपनी हद पर पहुंच गया है। ऐसे में बांग्लादेश जितना मानवीय पहलुओं या न्याय सुनिश्चित करने में शामिल हैं, रोहिंग्याओं को वापस भेजना ही इस संकट का एक समाधान है।'

उन्होंने कहा कि संयुक्त राष्ट्र महासभा समेत कई जगहों के प्रस्तावों में म्यांमार में ऐसा माहौल तैयार करने की बात कही गई है, जिसमें रोहिंग्या मुसलमान सम्मान और सुरक्षा के साथ लौट सकें। उन्होंने कहा, 'दुखद है कि बीते 7 सालों में म्यांमार के संकट की जड़ पर कोई बात नहीं है। एक भी रोहिंग्या अपने वतन वापस नहीं जा पाया है।'

उन्होंने कहा, 'ऐसे में जबरन विस्थापित किए गए रोहिंग्या, उनके मेजबान और वैश्विक साझेदार अनिश्चितताओं का सामना कर रहे हैं। जबकि, रोहिंग्याओं के लिए मानवीय सहयोग पर उनका ध्याम कमजोर हो रहा है। कैंप में बड़ी संख्या में युवा आबादी संभावित तौर पर संकट को और मुश्किल बना रही है।' इस दौरान यूनुस ने क्षेत्र में बिगड़ती सुरक्षा व्यवस्था पर भी जोर दिया। इनमें लड़ाई और आपराधिक गतिविधियां शामिल हैं।

बांग्लादेश की अंतरिम सरकार के मुख्य सलाहकार ने म्यांमार में एक समावेशी समाज की जरूरत की बात कही है, जहां सभी जातीय समूह शांति से साथ रह सकें। साथ ही उन्होंने अंतरराष्ट्रीय और क्षेत्रीय जानकारों से इस संकट की जड़ को खत्म करने के लिए साथ मिलकर काम करने की अपील की है। उन्होंने रोहिंग्या मुसलमानों के खिलाफ किए गए अपराधों की न्याय और जवाबदेही तंत्र बनाने की बात कही है।

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