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सांसद अरुण साव ने कहा- किसानों की तरक्की के लिए है कृषि कानून …

बिलासपुर। संसद द्वारा पारित किए गए नए कृषि कानून पर सांसद अरुण साव ने बुधवार को किसान संगठनों के पदाधिकारियों एवं जिले के प्रगतिशील कृषकों के साथ परिचर्चा की। इस दौरान उन्होंने कहा कि कुछ लोग किसानों की स्वतंत्रता को सहन नहीं कर पा रहे हैं। किसानों की तरक्की और ग्रामीण अर्थव्यवस्था की मजबूती के लिए लाया गया नया कृषि कानून उन्हें रास नहीं आ रहा है। विपक्षी यह समझ लें कि जब तक किसानों की तरक्की नहीं होगी, देश की तरक्की नहीं होगी।

नेहरू चौक स्थित सांसद निवास सह कार्यालय में आयोजित परिचर्चा में साव ने कहा कि भारत कृषि प्रधान देश है। अन्नदाता किसान देश की अर्थव्यवस्था की रीढ़ है। गलत नीतियों व दृढ़ इच्छाशक्ति की कमी के कारण आजादी के इतने वर्षों बाद भी किसानों की स्थिति में अपेक्षानुरुप सुधार नहीं आया है। आज भी किसान शादी, गृह निर्माण, गंभीर बीमारियों के ईलाज सहित अपनी अन्य बड़ी पारिवारिक जिम्मेदारियों का निर्वहन करने के लिए जमीन बेचने पर मजबूर है।

पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी द्वारा शुरू की गई किसान क्रेडिट योजना को छोड़ दें तो आजादी के बाद बाद से अब तक किसानों की तरक्की के लिए कोई बड़ी योजना नहीं बनी थी। अब जाकर केन्द्र की मोदी सरकार ने किसानों के हित में, ग्रामीण अर्थव्यवस्था के हित में और देश के हित में नया कृषि कानून लाया है। यह कानून किसानों को आत्मनिर्भर व संबल बनाने वाला और ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मजबूती देने वाला कानून है। यह किसानों को बंधनों व शोषण से मुक्ति दिलाने वाला कानून है। इससे एक ओर जहां किसानों की आय दोगुनी होगी, वहीं रोजगार के अवसर भी बढ़ेंगे। अब किसानों को उनकी उपज का वाजिब दाम मिलेगा।

उन्होंने कहा कि आजादी के पहले इस देश में किसानों की उपज की खरीदी किस तरह होती थी, यह हम सभी जानते हैं। एक व्यक्ति पूरे गांव की उपज को अकेले खरीदता था। इसलिए उस गांव के सभी किसानों की निर्भरता उसी व्यक्ति पर होती थी। आजादी के बाद 1960-70 के दशक में किसानों पर वर्षों से हो रहे इस अत्याचार के खिलाफ वातावरण तैयार हुआ। फलस्वरूप 1971 में तात्कालिन सरकार ने कृषि मंडी अधिनियम लाया, लेकिन किसानों की स्थिति तब भी नहीं सुधरी। 1991 में आर्थिक व्यवस्था में सुधार व उदारीकरण की बातें हुईं, लेकिन नतीजा ज्यों का त्यों रहा। साव ने कहा कि अब किसान “वन नेशन-वन मार्केट” के चलते अपनी मर्जी से अपनी उपज जहाँ चाहे वहां बेच सकते हैं। मंडी में ही उपज बेचने की बाध्यता तो मोदी सरकार ने खत्म कर दिया है।

इस कानून से किसानों को मंडी टैक्स, परिवहन चार्ज सहित अनेक परेशानियों से मुक्ति मिल जाएगी। वहीं बिक्री के तीन दिनों के भीतर उपज का वाजिब दाम भी मिल जाएगा। इससे संबंधित विवादों के निपटारे के लिए भी 30 दिनों की समय-सीमा तय कर दी गई है। जो खुद खेती नहीं कर ठेका पद्धति पर दूसरे कृषकों से खेती कराते हैं, उनके लिए भी इस कानून में राहत है। कानूनी तौर पर प्रावधान किया गया है जिसके कारण जमीन की मिलकियत पर नहीं बल्कि सिर्फ सेवा पर करार होगा, इसलिए जोखिम कम होगा। आवश्यक वस्तु अधिनियम में भी सुधार किए गए हैं। अब युद्ध, अकाल जैसी अन्य विषम परिस्थितियों में ही सरकार अनाज के विनिमय व भंडारण पर नियंत्रण रखेगी।

श्री साव ने नए कृषि कानून को लेकर मचे सियासी बवाल का जिक्र करते हुए कहा कि कुछ लोग किसानों की स्वतंत्रता को सहन नहीं कर पा रहे हैं। उनके लिए काला धन कमाने का एक और रास्ता बंद हो गया है। देश के कई हिस्सों में विरोध प्रदर्शनों में कृषि उपकरणों को जलाने पर सांसद ने कहा कि किसान जिन कृषि उपकरणों की पूजा करते हैं, विपक्ष उन्हें जलाकर किसानों का अपमान कर रहा है। उन्होंने कहा कि मोदी सरकार ने एमएस स्वामीनाथन की सिफारिशों के अनुरूप एमएसपी तय की है। एमएसपी पहले की तरह ही बना रहेगा। उन्होंने कहा कि किसानों को वे लोग भड़का रहे हैं, जिनका कृषि से कोई लेना-देना ही नहीं है। विपक्षियों द्वारा लगाए जा रहे सभी आरोपों को बेबुनियाद बता सिरे से खारिज किया।

कार्यक्रम को जिला भाजपाध्यक्ष रामदेव कुमावत, कमलेश सिंह, धीरेन्द्र दुबे ने भी संबोधित किया। कार्यक्रम का संचालन डाॅ. सुनील जायसवाल एवं आभार प्रदर्शन रामचरण वस्त्रकार ने किया। इस अवसर पर श्रीमती चांदनी भारद्वाज, संतोष अग्रवाल, माधो सिंह ठाकुर, राजू सिंह, राजेश्वर पटेल, कृष्णा भट्ट, बसंत पुरी गोस्वामी, सोनू तिवारी, रामप्रसाद साहू, राजेश वर्मा, विक्रम सिंह, महेश यादव, विजय यादव, राजकमल सूर्यवंशी, लक्ष्मण मरकाम, देवानंद कौशिक, आकाश कश्यप, सदानंद क़ुर्रे, अनूप कुमार भोसले, अशोक ठाकुर, गेंदराम वस्त्रकार आदि उपस्थित थे।

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