लखनऊ/उत्तरप्रदेश

सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव के जिन्ना का नाम लेने पर बोले मौलाना मदनी- बेवकूफी है ….

लखनऊ । आजादी के इतने सालों बाद भी मुस्लिमों की यह हालत क्यों है? इसके जवाब पर मौलाना ने कहा कि मुसलमानों को किसी एक पार्टी को हराने के लिए नहीं जाना चाहिए, भले ही जिताने के लिए आएं। यह मंशा नहीं होनी चाहिए कि इनको हर हाल में हराना है। जितवाने के लिए हम किसी के साथ आ सकते हैं। इस मुल्क में जितना क्रीमी लेयर था भारत में, वह भारतीय मुस्लिम को छोड़कर पाकिस्तान चला गया था। यहां तो गरीब लोग रह गए थे, जिन लोगों ने 75 सालों में हासिल किया है, वह बहुत खूबसूरत दास्तां है, उसे छिपाकर रखने की जरूरत नहीं है। शुक्रिया अदा करना चाहिए उस प्लैटफॉर्म का जो इस मुल्क ने दिया। भारत का मुसलमान इस उपमहाद्वीप के मुसलमानों से किसी तरह से कम नहीं, ज्यादा ही है। उन्होंने कहा कि कुछ खास मकसद से कुछ खास दलों ने मुसलमानों को बदनाम किया।

आज तक के एक कार्यक्रम में मदनी से जब सवाल किया गया कि मुस्लिम इस बार अखिलेश यादव के लिए वोट करेंगे और जिन्ना का नाम लेने का फायदा होगा? इस पर मदनी ने कहा, ”कभी नहीं हो सकता है। भारत में रहने वाला मुसलमान बाय चांस इंडियन नहीं है, बाय चॉइस इंडियन है, जिन्ना को तो सन 1947 में, 46, में और 1942 में भारतीय मुसलमानों ने खारिज किया।” अखिलेश ने जिन्ना का नाम क्यों लिया? इसके जवाब में मदनी ने कहा, ”यह तो वह बताएंगे, आडवाणी जी ने क्यों लिया था, यशवंत सिन्हा ने क्यों लिया था, या इन्होंने क्यों लिया ये (अखिलेश) बताएंगे।”

फिर पूछे जाने पर कि अखिलेश ने ऐसा क्यों किया, मदनी ने कहा, ”मोटी तौर पर बात यह है कि बेवकूफी है, कोई लेनादेना नहीं है, जिन्ना साहब में कुछ अच्छाइयां भी होंगी, लेकिन हमारे लिए तो बेकार हैं ना वो, वो तो कुल्हाड़ी मारकर चले गए। उनका हमसे क्या लेना देना है। अखिलेश यादव एक स्वतंत्र राजनीतिक पार्टी के नेता हैं, हो सकता है उन्हें उनकी कोई बात अच्छी लगती हो, वे करें, लेकिन इससे मुसलमान को क्यों जोड़ा जा रहा है। मुझे इस पर भी ऐतराज है। बहुत से लोगों की तारीफ कर सकते हैं, आजकल लोग गोडसे साहब की तारीफ कर रहे हैं। मैंने गोडसे को भी साहब कहा क्योंकि सबके नाम के साथ लगाता हूं।”

उत्तर प्रदेश में होने जा रहे विधानसभा चुनाव में पाकिस्तान के जनक मोहम्मद अली जिन्ना का नाम भी खूब उछाला जा रहा है। अखिलेश यादव की ओर से जिन्ना का नाम लिए जाने को जमीयत उलेमा-ए-हिंद के प्रमुख मौलाना महमूद मदनी ने बेवकूफी करार दिया है। उन्होंने कहा कि भारतीय मुस्लिम आजादी से पहले ही जिन्ना को खारिज कर चुके हैं। जिन्ना साहब में कुछ अच्छाइयां भी होंगी, लेकिन हमारे लिए वह बेकार हैं। वह तो कुल्हाड़ी मारकर जा चुके हैं।

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