Uncategorized

बीपी-शुगर सहित जीवनरक्षक दवाएं 20 फीसदी तक महंगी, कच्चे माल की कमी बनी वजह ….

नई दिल्ली। गरीब परिवारों में दवाई पर खर्च बढ़ जाने से दवाई की खुराक कड़वी हो गई है। बीमारी का इलाज जरूरी है इसलिए महंगी दवाइयों से आम जनता का बजट खासा प्रभावित हो रहा है। दवाइयों के दाम 10 फीसदी से 70 फीसदी तक महंगे हुए हैं। औसतन दवाइयों के दामों में 20 फीसदी तक की बढ़ोतरी हो गई है। 

बीपी-शुगर सहित कई दवाओं के दामो में बढ़ोतरी ने आम जनता का मर्ज बढ़ा दिया है। जीवनरक्षक दवाएं 20 फीसदी तक महंगी हो गईं हैं आर्थिक तंगी से परेशान जानता को अब महंगाई की मार झेलनी पड़ रही है। आम दिनचर्या में इस्तेमाल की जाने वाली दवाइयों के दामों में इजाफा होने से लोगों की मुश्किलें बढ़ गई हैं। आम जनता बढ़ती दवाई के दामों से त्रस्त है।

हरिद्वार में एक तरफ स्थानीय लोग बढ़ते दवाई के दामों से परेशान हैं तो दूसरी तरफ दवाइयों के विक्रेता कच्चा माल नहीं मिलने की दलील दे रहे हैं। चाइना और सिंगापुर से कच्चा माल आना बंद हो गया है। महंगाई के कारण दवाइयों के उत्पादन के दाम भी बढ़ गए हैं। सरकार भी दवाइयों पर पांच फीसदी से 28 फीसदी तक जीएसटी वसूल रही है।

बढ़ती महंगाई के बीच आम जनता खुद को ठगा महसूस कर रही है। महंगाई से राहत के लिए गरीब जनता सरकार की तरफ नज़रे गड़ाए बैठी है। लेकिन राहत की कोई किरण नज़र नही आ रही है। कनखल निवासी ललित वालिया ने कहा कि महंगाई ने जीना दूभर कर दिया है। रोजगार कम है। आय के साधन नहीं हैं।

महंगी दवाइयां कहां से खरीदें। जीवन रक्षक औषधियों के दाम बढ़ रहे हैं। सरकार के टैक्स ज्यादा हैं। दवाइयों पर सरकार पांच प्रतिशत से 28 प्रतिशत तक जीएसटी लगा रही है। दवाइयां खरीदने के लिए सोचना पड़ रहा है। दवाई नहीं खाएंगे तो मर जाएंगे, महंगी दवाई के बोझ तले दबकर भी मर रहे हैं।

सरकार को गरीब जनता को सस्ती दवाई उपलब्ध करानी चाहिए।ज्वालापुर निवासी रजनीश के मुताबिक पूर्व में मेडिकल स्टोर से दवाई लेने पर 15 से 20 फीसदी डिस्काउंट मिल जाता था। वर्तमान में 5 से 10 फीसदी ही डिस्काउंट दिया जा रहा है। अधिकतर मेडिकल पर दवाइयां प्रिंट रेट पर बेची जाती हैं। मेडिकल संचालक दवाइयों पर मार्जन कम होने की दलील देते हैं।

उधर ओम शक्ति मेडिकल संचालक जितेंद्र कुमार ने कहा कि दवाइयों के दाम भविष्य में और बढ़ने का अनुमान है। टेबलेट्स की पैकिंग भी बदल दी गई है। अब दवाइयों का पता 15 टेबलेट्स की पैकिंग में मिलेगा। पीछे से कच्चा माल महंगा आ रहा है। चाइना और सिंगापुर से कच्चा माल आना बंद हो गया है। महंगाई के कारण दवाइयों का उत्पादन महंगा हो गया है।  पेट्रोल-डीजल से ट्रांसपोर्टेशन का खर्चा भी बढ़ गया है।

हरिद्वार कैमिस्ट एसोसिएशन के उपाध्यक्ष अनिल झांब ने कहा कि डीपीसीओ के अंतर्गत आने वाली दवाइयों के दाम सरकार ने तय किए हुए हैं। बुखार, सरदर्द आदि बीमारी में इस्तेमाल होने वाली दवाइयां डीपीसीओ के अंतर्गत आती हैं। बुखार और सरदर्द की दवाइयों को छोड़कर बाकी दवाइयों के दाम में 20 फीसदी बढ़ गए हैं। यूक्रेन और रूस के युद्ध का असर भी दवाइयों पर पड़ रहा है। कच्चा माल न उपलब्ध होने के कारण भी दवाइयों के दाम बढ़े हैं।

Back to top button